उज्जैन। एआईसीटीई मान्यता प्राप्त पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में एमबीए पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए सीएलसी राउंड के अंतर्गत पंजीयन 24 से 26 नवंबर तक दोपहर 1 बजे तक होगा। इसके लिए https://dte.mponline.gov.in पर पंजीयन किया जा सकता है।
डॉ धर्मेंद्र मेहता, निदेशक, पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने बताया कि, पंजीयन पश्चात, पंजीयन पावती एवं कक्षा 10वीं, 12वीं, स्नातक की समस्त मूल अंकसूचियों, जाति, आय, मूलनिवासी एवं अन्य सभी आवश्यक मूल दस्तावेजों सहित दो पासपोर्ट साइज फोटोज, सभी दस्तावेजों के दो फोटोकॉपी सेट्स सहित 26 नवम्बर से प्रात:11 से दोपहर 4 बजे तक जेएनआईबीएम संस्थान (एमबीए डिपार्टमेंट) में पंजीकृत पात्र अभ्यर्थी अपनी अनिवार्य रिपोर्टिंग उपस्थिति सुनिश्चित करें।विस्तृत जानकारी या मदद हेतु मो. नं. 78790-62375 पर संपर्क कर सकते है।आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ | Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं। उनके उपन्यास और कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है। मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...
Comments