मैं इकाई हूँ मैं समाज भी पुस्तक का हुआ लोकार्पण
वरिष्ठ शायर श्री अशोक मिज़ाज बद्र का सारस्वत सम्मान हुआ
प्रभारी कुलपति प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा ने अपने सारगर्भित व्याख्यान में मिज़ाज की गजलों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि श्री मिज़ाज जीवन की संपूर्णता के ग़ज़लकार हैं। उन्होंने आम आदमी की चिंता और दुश्वारियों को प्रस्तुत करते हुए ग़ज़ल की अंतर्वस्तु, कहन और प्रतीकों को नया मोड़ दिया है। प्रो शर्मा ने विभिन्न संदर्भों के माध्यम से श्री मिज़ाज को नए दौर की ग़ज़ल का प्रतिनिधि शायर सिद्ध किया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि विदुषी प्रवर प्रो. प्रेमलता चुटैल ने पुस्तक की बहुआयामी समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि मिज़ाज जैसे रचनाकारों की समाज को महती आवश्यकता है। उनकी रचनाएं निराशा में आशा की किरण दिखाती हैं।
कार्यक्रम के शुभारंभ में पुस्तक के संपादक जयहिंद स्वतंत्र ने पुस्तक परिचय प्रस्तुत करते हुए अपने बीज वक्तव्य में मिज़ाज को दोहरा इतिहास बनाने वाला शायर कहा।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि योगाचार्य श्वेतांक आनंद जी ने अपने आशीर्वचन देते हुए कहा कि श्री मिज़ाज ज्ञान से आगे भाव के संसार में ले जाते हैं।
इस अवसर पर डॉ. गीता नायक, प्रो. शैलेन्द्र कुमार भारल, डॉ प्रतिष्ठा शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। आयोजन में वरिष्ठ शायर श्री अशोक मिज़ाज को अतिथियों द्वारा शॉल, श्रीफल एवं पुष्पमाल अर्पित कर उनका सारस्वत सम्मान किया गया। विशिष्ट आमंत्रित रचनाकार अशोक मिज़ाज, वरिष्ठ शायर डॉ. जिया राणा, हमीद गौहर, डॉ. सुरेश यादव आदि ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया।
कार्यक्रम में प्रो. शैलेन्द्र कुमार भारल, डॉ. प्रतिष्ठा शर्मा, डॉ. मोहन बैरागी, डॉ. नागेश पाराशर, श्रीमती हीना तिवारी, डॉ. भावना आर्य स्वतंत्र, संदीप पांडेय, बेबीराजा बुंदेला, युगेश द्विवेदी, निखिल कुमार, शिक्षा देवी, पूजा पाटीदार, संगीता मौर्य, कल्पना पाल आदि सहित हिंदी अध्यनशाला एवं वाणिज्य अध्ययनशाला के शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। प्रारंभ में वाग्देवी की वंदना डॉ सुरेश यादव ने की।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. संदीप पांडे ने किया एवं आभार युगेश द्विवेदी ने व्यक्त किया।
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