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सर्वे भवंतु सुखिनः के सूत्र को साकार करता है भारत का संविधान - प्रो शर्मा

महत्त्वपूर्ण जीवन सन्देश मिलते हैं प्राचीन भारतीय सामाजिक न्याय व्यवस्था में – डॉ पुराणिक

संविधान दिवस पर परिसंवाद हुआ विक्रम विश्वविद्यालय की विधि अध्ययनशाला में


उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय की विधि अध्ययनशाला में संविधान दिवस के अवसर पर विशिष्ट परिसंवाद का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा थे। अध्यक्षता कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक ने की। विशिष्ट अतिथि विधि संकायाध्यक्ष डॉ. अरुणा सेठी थीं। इस अवसर पर भारत : लोकतंत्र की जननी विषय पर विभिन्न वक्ताओं ने प्रकाश डाला। प्रभारी कुलपति प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्राचीन काल से ही भारत में लोकतंत्र के महत्वपूर्ण साक्ष्य मिलते हैं। वैदिक काल, महाकाव्य काल, जनपद, महाजनपद, मौर्य, चोल, चालुक्य, परमार वंश और उत्तर मध्यकालीन भारत में गणतंत्र के मूल्यों को महत्त्वपूर्ण स्थान मिला है। अनेक पुरातात्विक साक्ष्य, पौराणिक साक्ष्य, साहित्यिक साहित्य और लोक साक्ष्य उपलब्ध हैं, जो सिद्ध करते हैं कि भारत लोकतंत्र की आधार भूमि है, लोकतंत्र की जननी है। सभी ने शासन तंत्र के नीतिपूर्ण आचरण और सदाचार को आवश्यक माना गया है। गोस्वामी तुलसीदास ने बिना नीति के राजकार्य को निष्फल माना है। हमारे संविधान में संत रविदास और कबीर की वाणी के स्वर मुखरित हैं। भारत का संविधान सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चित् दु:खभाग् भवेत् के मंत्र को साकार करता है।

कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक ने कहा कि प्राचीन काल से कुटुम्ब और पारिवारिक व्यवस्था में लोकतंत्र के दर्शन होते हैं। प्रागैतिहासिक स्थल भीमबैटका से लेकर वैदिक काल, उत्तर वैदिक काल, महाकाव्यों के काल में इसके अनेक साक्ष्य मिलते हैं। सोलह महाजनपदों में भी लोकतांत्रिक मूल्यों को महत्ता मिली थी। विक्रमादित्य की न्यायिक व्यवस्था में शासक वर्ग द्वारा निर्धन व्यक्ति को भी अभिभाषक उपलब्ध कराया जाता था। यह परम्परा प्राचीन काल से रही है। प्राचीन भारतीय सामाजिक न्याय व्यवस्था में अनेक महत्त्वपूर्ण जीवन सन्देश मिलते हैं। डॉ पुराणिक ने संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर के जीवन संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। कार्यक्रम में विधि विभागाध्यक्ष डॉ तृप्ति जायसवाल, डॉ दिग्विजयसिंह, प्रो आनन्दप्रताप सिंह, डॉ अजय शर्मा सहित विधि अध्ययनशाला के शिक्षकों, शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों की उपस्थिति में संविधान दिवस का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

संविधान दिवस पर विधि अध्ययनशाला के विद्यार्थी अमित पटेल, अवधेश, आशु नरेश, देवेन्द्र यादव, समर्थ, तनुश्री रेजल, शुभम शर्मा, हर्षवर्धन सूर्यवंशी, पवन परिहार, श्वेता ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन छात्रा कु. ख्याति पण्डित ने किया। अंत में अध्ययनशाला के प्रो. दिग्विजय सिंह मण्डलोई द्वारा आभार व्यक्त किया गया।

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