गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी और कवि सम्मेलन
उज्जैन। भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की ओर से गुरु श्री तेग बहादुर महाराज जी के शहीदी दिवस पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी और कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। आयोजन के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के प्रभारी कुलपति प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा थे। अध्यक्षता नार्वे के वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेशचन्द्र शुक्ल शरद आलोक ने की तथा सफल संयोजन वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती सुवर्णा जाधव, पुणे ने किया।
मुख्य अतिथि प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि गुरु तेग बहादुर ने आततायी के सामने सर नहीं झुकाया, अपना शीश अर्पित कर दिया। उन्होंने धर्म हेतु साका जिन किया, सीस दिया पर सिरड न दिया पंक्ति को चरितार्थ किया। गुरु तेग बहादुर की बलिदानी चेतना और क्रान्तिधर्मिता आज के समय में भी बहुत सार्थक है। सम्पूर्ण विश्व इतिहास में स्वधर्म, संस्कृति, मानवीय मूल्यों एवं सिद्धांतों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वाले बलिदानी व्यक्तित्व के रूप में उनका स्थान अद्वितीय है। उनकी चेतना आज भी जीवित है। उन्होंने डराने वाले और डरने वाले - दोनों को गलत बताया है।
भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम, नार्वे के अध्यक्ष सुरेशचन्द्र शुक्ल शुक्ल शरद ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी के सन्देश और बलिदान संपूर्ण विश्व के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्हें सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कार्यों के लिए नार्वे में भारतीय राजदूत डॉ. बी बाला भास्कर, नार्वेजीय सरकार और भारतीय विदेश मंत्रालय से बहुत सहयोग और प्रोत्साहन मिलता है।
इस अवसर पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में देश विदेश में अनेक रचनाकारों ने अपनी कविताएँ सुनाईं। कवि सम्मेलन में भारत से डॉ. शोभा बाजपेयी और अपर्णा गुप्ता लखनऊ, डॉ. ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी उ. प्र., डॉ. रश्मि चौबे गाजियाबाद, वसुधा गाडगिल इन्दौर, ओम सपरा और एस एस पाराशर दिल्ली, डॉ. सविता सिंह और सुवर्णा जाधव पुणे ने सुन्दर कवितायें सुनाईं और गुरु महाराज को कोटि-कोटि नमन किया। विदेश से सम्मिलित हुए कवियों में मुख्य थे डॉ. वीणा विज और डॉ. रामबाबू गौतम, अमेरिका, सुरेश पाण्डे, स्वीडन, गुरु शर्मा और सुरेशचन्द्र शुक्ल शरद आलोक, नार्वे। सभी कवियों ने गुरु महाराज को कोटि-कोटि नमन किया।
Comments