उज्जैन। राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में दिनांक 26 नवंबर 2022 को संविधान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभाग की विभागाध्यक्षा प्रो. दीपिका गुप्ता ने की एवं विशेष व्याख्यान डॉ. साकेत व्यास (उप संचालक लोक अभियोजन उज्जैन) द्वारा दिया गया। सरस्वती माल्यार्पण के पश्चात विशेष व्याख्यान में डॉ साकेत जी ने संविधान का अर्थ समझाते हुए कहा कि संविधान (सम+विधान) से बना है अर्थात सभी के लिए समान है, किंतु कुछ लोगों ने धन बल पर बड़े-बड़े न्याय विशेषज्ञों को अपनी ओर कर लिया है, जो चिंताजनक है। वैशाली में पहले गणतंत्र का जन्म भारतवर्ष में हुआ था। एक दौर में भारत में राजतंत्र भी रहा। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी आई जिन्होंने अपने अनुसार शासन चलाया । 1773 में पहला चार्टर एक्ट आया। 1857 के बाद इंडिया एक्ट आया । सन 1935 के अधिनियम का 75% भाग संविधान में अपनाया गया है, शेष अन्य देशों से लिया गया है । आपने संविधान में फंडामेंटल राइट की चर्चा की। आप ने बताया कि यह संविधान की आन बान शान है कि सबसे खूबसूरत लोकतंत्र भारत में ही है। हमारा संविधान एक सजीव तंत्र है लेकिन सभी लोग वर्तमान में अधिकारों की बात करते हैं, कर्तव्य की कोई बात नहीं करता है। देश कर्म प्रधान है ना कि जाति प्रधान । हमारा देश संविधान के प्रति प्रतिबद्ध है। लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए सचेत रहना चाहिए, इससे हम संविधान दिवस को ठीक से मना सकते हैं। आपने एन आर सी एवं सी ए ए पर भी चर्चा की।
इस अवसर पर विभाग के विद्यार्थियों सोनाली मंडलोई, विशाल जाट, कुसुम चौहान, रुचि तिवारी ने भी संविधान दिवस पर अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. जितेंद्र शर्मा ने किया । इस अवसर पर विभाग के प्राध्यापक डॉ वीरेंद्र चावरे ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया। कार्यक्रम में डॉ नलिन सिंह पँवार, डॉ मेघा पाण्डेय, डॉ उमा शर्मा, डॉ अजय भदोरिया, डॉ वंदना पंडित एवं विद्यार्थी उपस्थित थे । आभार शिव कुशवाह ने किया।
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