विक्रम विश्वविद्यालय की 3 अध्ययनशालाओं के संयुक्त तत्वावधान में "उर्जारूपी कुंभ" श्रीमद्भागवतगीता की 5159वीं पावन जयंती का कार्यक्रम हुआ सम्पन्न
"गीता जी के उपदेशों का संबंध उज्जैन से ही"
"गीता जी उर्जारूपी कुंभ"
आरंभ में संस्कृत, ज्योतिर्विज्ञान, वेद अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष एवं संस्थान संकाय डॉ. डी. डी. बेदिया ने इस अवसर पर कार्यक्रम की रूपरेखा में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, गीता की दी हुई सीख मानव समाज का संपूर्ण मार्गदर्शन करती है, गीता जी ज्ञान परम्परा एवं संस्कृति की आधारशिला है। श्री कृष्ण जी के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेने का आह्वान करते हुए आपने विद्यार्थियों को आगे बड़ते रहने की सीख दी।
डॉ. सचिन राय, संकाय सदस्य एवं निदेशक भारत अध्ययन केंद्र, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने विद्यार्थियों से महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन को उद्धृत करते हुए आव्हान किया कि, विद्यार्थियों की दैनन्दिन जीवन की समस्याओं के निराकरण हेतु भी गीता जैसे प्राचीनतम ग्रन्थों के सूत्रों के माध्यम से नई पीढ़ी को मानसिक रूप से स्वयं को सशक्त बनना ही होगा। डॉ राय ने समस्त 700 श्लोकों के एवं 18 अध्यायों के पठन महत्व के साथ ही सांदीपनी आश्रम के इस महान शिष्य के गीतारूपी अमृत ज्ञान को ऊर्जा कुंभ बताया।
डॉ.धर्मेंद्र मेहता, निदेशक पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान, द्वारा स्वागत भाषण एवं आज के कॉरपोरेट जगत तथा जीवन के अन्य क्षेत्रों में युवा पीढ़ी के समक्ष उभरती दैनंदिन चुनौतियों से निपटने के लिए श्रीमद्भगवद्गीता को सार्वभौमिक महान रचना के नित्य स्वाध्याय हेतु अभिप्रेरित किया गया। आपने उज्जैन में गीता जयंती का विशेष महत्व स्पष्ट करते हुए, युवाओं की महत्वाकांक्षाओं और जीवन की व्यस्तताओं के मध्य संतुलन स्थापित करने में गीता सार के महत्व को रेखांकित किया।
कार्यकम के आरंभ में संस्कृत, ज्योतिर्विज्ञान, वेद अध्ययनशाला के संकाय डॉ. महेंद्र पंड्या के स्वरमयी आचार्यत्व में स्वस्तिवाचन प्रस्तुति दी। इस ऑनलाइन कार्यकम में संस्कृत, ज्योतिर्विज्ञान, वेद अध्ययनशाला के संकाय डॉ.विष्णुप्रसाद मीणा, गोपाल शुक्ला जी, डॉ.भारती वर्मा, ऋचा शुक्ला, प्रबंध संकाय के शोधार्थी हिमांशु बैरागी, कुलदीप कुमावत, हरिशंकर बोडाना, लविष्का शर्मा, ने भी अपने विचारों की प्रस्तुति दी।
नई पीढ़ी ज्ञान प्रबन्धन गीता जी के माध्यम से, जीवंत एवं बहुउपयोगी रोचक सूत्रों को आत्मसात करें एवं आचरण में लाने का प्रयास भी करें, यह उद्गार कार्यक्रम के सूत्रधार डॉ. धर्मेंद्र मेहता ने प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के अंतिम चरण में डॉ. नयनतारा डामोर, संकाय सदस्य पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंधन संस्थान, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा तीनों अध्ययनशालाओं के इस अनूठे प्रासंगिक संयुक्त आयोजन में उपस्थित सभी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया गया।
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