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प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के विद्यार्थियों ने कुलपति प्रो पाण्डेय के निर्देशन में मत्स्य विभाग के तालाब पर प्रायोगिक प्रशिक्षण प्राप्त किया

कुलपति प्रो पांडेय के निर्देशन में तालाब पारिस्थितिकी में उपस्थित विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया एवं फंगी का अध्ययन किया विद्यार्थियों ने

उज्जैन प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के विद्यार्थियों ने मत्स्य विभाग मध्यप्रदेश शासन के तालाब पर विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय एवं विभाग के शिक्षकों के साथ उपस्थित होकर प्रायोगिक प्रशिक्षण प्राप्त किया।

इंदौर रोड स्थित मत्स्य पालन विभाग, मध्य प्रदेश शासन के तालाबों पर प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के विद्यार्थियों द्वारा उपस्थित हो कर मत्स्य एकत्रीकरण में प्रयुक्त की जाने वाली विभिन्न प्रकार के मत्स्य जाल की जानकारी प्राप्त की तथा उनका उपयोग करते हुए मत्स्य एकत्रीकरण का कार्य किया। इसी प्रकार प्लैंकटन नेट का उपयोग करते हुए प्लैटोनिक ऑर्गनिज़मस को एकत्रित किया। कुलपति प्रोफेसर पाण्डेय द्वारा तालाब पारिस्थितिकी में उपस्थित विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया एवं फंगी के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए, उनसे संभावित रोगों पर प्रकाश डाला गया। मत्स्य अधिकारी श्रीमती विनीता गौतम ने मत्स्य एकत्रीकरण में उपयोग किये जाने वाले मत्स्य जालों की जानकारी प्रदान की। मत्स्य अधिकारी नविन बाथरे ने मछलियों की प्रजनन विधियां एवं मछली बीज उत्पादन के साथ-साथ मछली पालन हेतु मध्य प्रदेश शासन द्वारा प्रदान की जाने वाली सहायता आदि के बारे में विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया।

विभाग के शिक्षकगण डॉ अरविन्द शुक्ल एवं डॉ शिवि भसीन ने विद्यार्थियों को टक्सॉनॉमिक कलेक्शन की विधियों की विस्तृत प्रयोगात्मक जानकारी प्रदान करते हुए एकत्र किये गए सैंपल को संरक्षित करने की विधि के बारे में बताया।

विभागाध्यक्ष डॉ सलिल सिंह ने मत्स्य विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा किये गए सहयोगात्मक कार्य हेतु धन्यवाद प्रस्तुत किया।

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक ने बताया कि शैक्षणिक कार्य में नवाचार को प्रोत्साहन देना माननीय कुलपति जी की प्राथमिकता सदैव रहती है, जिसका सीधा लाभ विद्यार्थियों को होता है। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफ़ेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि विद्यार्थियों में कौशल विकास हेतु माननीय कुलपति जी दृढ़संकल्पित हैं तथा ऐसे कई उदाहरण हैं, जब वह स्वयं विद्यार्थियों के साथ उपस्थित हो कर सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक कार्य में संलग्न दिखाई देते हैं, जिसके कारण विद्यार्थियों में उत्साह के साथ-साथ आत्मविश्वास का संचार होता है।

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