Skip to main content

क्लाउड कंप्यूटिंग आपके डाटा को स्टोर करने तक ही सीमित नहीं, बल्कि व्यवसाय उन्नति और समय की बचत में भी सहायक - गोविंद सेठिया


उज्जैन रिसर्च एवं डेवलपमेंट प्रकोष्ठ के अंतर्गत कंप्यूटर विज्ञान संस्थान, आइक्यूएसी विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन एवं एलेगिस इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला के द्वितीय दिवस क्लाउड कंप्यूटिंग विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय द्वारा की गई। कंप्यूटर विज्ञान संस्थान तथा आइक्यूएसी, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भी क्लाउड कंप्यूटिंग का बखूबी उपयोग होता है। आजकल अधिकतर छात्र ई लर्निंग को काफी पसंद कर रहे हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग शैक्षणिक संसाधनों को ऑनलाइन एक्सेस करने में सहायक है, क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग करने पर आप की लागत काफी कम हो जाती है, क्योंकि इसमें किसी भी तरह का महंगा सिस्टम या इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती है।


संगोष्ठी के मुख्य वक्ता एवं संस्थान के पूर्व छात्र गोविंद सेठिया, जो कि वर्तमान में कॉग्निजेंट यूनाइटेड किंगडम में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं, ने बताया कि क्लाउड कंप्यूटिंग इंटरनेट के जरिए यूजर की डिमांड पर विभिन्न कंप्यूटिंग सेवाएं प्रदान करता है। क्लाउड कंप्यूटिंग का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसके द्वारा अनलिमिटेड डाटा को स्टोर कर सकते हैं, कभी भी डाटा का बेकअप ले सकते हैं और जो डाटा हमने खो दिया है उसे रिकवर कर सकते हैं।

मुख्य वक्ता ने बताया कि क्लाउड कंप्यूटिंग डाटा स्टोरेज के लिए बहुत सुरक्षित है। माइक्रोसॉफ्ट तथा गूगल जैसी कंपनियां उपयोगकर्ता को 10 GB तक फ्री स्टोरेज उपलब्ध कराती है जिसका उपयोग कर उपयोगकर्ता डाटा स्टोर कर सकता है। कार्यशाला के द्वितीय सत्र की मुख्य वक्ता माइक्रोसॉफ्ट की सुश्री शीतल राय ने माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल के उपयोगी फीचर्स का प्रशिक्षण प्रदान किया। कार्यशाला का समन्वयन डॉ. भूपेंद्र कुमार पंड्या, संचालन श्रीमती कीर्ति दीक्षित एवं आभार प्रदर्शन संस्थान के प्राध्यापक डॉ. कमल बुनकर ने किया।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...