प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में खोले जाएँगे कई नए रोजगारपरक स्पेशलाइज़ेशन्स - कुलपति प्रो पांडेय
सोमवार २२ दिसंबर को विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला पहुँचकर विभागाध्यक्ष एवं शिक्षकों के साथ मीटिंग की एवं उन्हें जूलॉजी और बायोटेक्नोलॉजी के विद्यार्थियों के लिए नवीन एवं रोजगारपरक पाठ्यक्रम खोलने के लिए निर्देशित किया। शिक्षकों से वार्तालाप करते हुए माननीय कुलपति जी ने कहा कि विश्वविद्यालय कि अध्ययनशालाओं का दायित्व है कि विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा प्रदान की जाये जो उन्हें रोजगार दिलाने में सहायक हो, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में इस वर्ष देश के विभिन्न हिस्सों से विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है और विभाग का यह दायित्व है कि बाहर से आये विद्यार्थियों को उत्कृष्ट रोजगारन्मुखी शिक्षा प्रदान की जाये।
विभाग में पहले से ही फिश एवं फिशरीज, लिमनोलॉजी, इंडोक्राइनोलोजी, सेरीकल्चर, एंटोमोलोजी आदि से जुड़े पाठ्यक्रम चल रहे हैं। शिक्षकों से वार्तालाप करते हुए कुलपति प्रो पांडेय ने कहा कि विभाग में शहद उत्पादन, केंचुआ खाद उत्पादन, मत्स्य उत्पादन, सेल कल्चर, पेस्ट कण्ट्रोल आदि के पाठ्यक्रमों को इस तरह से विकसित करें कि इस विभाग में चल रहे विभिन्न पाठ्यक्रमों के ट्रेनिंग सेन्टर के रूप में स्थापित किया जा सके और यहाँ विभाग से बाहर के विद्यार्थियों को बुला कर भी ट्रेनिंग दी जा सके। इससे विभाग और विश्वविद्यालय माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना में भी आपने योगदान दे पायेगा। इस अवसर पर प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ सलिल सिंह के साथ विभाग के शिक्षक डॉ अरविन्द शुक्ल, डॉ संतोष कुमार ठाकुर, डॉ शिवि भसीन, डॉ स्मिता सोलंकी, डॉ गरिमा शर्मा एवं डॉ पूर्णिमा त्रिपाठी उपस्थित थे। उन्होंने कुलपति जी आश्वस्त किया कि विभाग छात्र हित में शैक्षणिक कार्यक्रमों को बढ़ाने के लिए पूर्णतः प्रयासरत रहेगा।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक ने बताया कि विश्वविद्यालय सदैव ऐसे कार्यों के लिए ततपर है, जिनसे विद्यार्थियों का विकास किया जा सके। इस तरह के प्रयास से उन्हें अधिक से अधिक लाभ पहुंचाया जा सकेगा। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला गत दो वर्षों में उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करते हुए विश्वविद्यालय का केंद्र बिंदु रहा है और पहले भी इस विभाग के विद्यार्थियों ने कई उत्पाद बनाते हुए आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना में को पूर्ण करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है, और आगे भी इस विभाग से यही अपेक्षा है कि यह उत्कृष्टता के नए आयामों को छूता रहेगा।
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