Skip to main content

सदियों पूर्व से भारत में रही है गणतांत्रिक शासन व्यवस्था – प्रो शर्मा

बसन्त पंचमी एवं गणतंत्र दिवस पर गणतंत्र की परंपरा और वर्तमान विश्व पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन सम्पन्न

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा बसंत पंचमी - सरस्वती माता के अवतरण दिवस पर सरस्वती पूजन एवं गणतंत्र की परम्परा और वर्तमान विश्व पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न हुई। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि श्री हरेराम वाजपेयी अध्यक्ष हिन्दी परिवार इन्दौर, मुख्य वक्ता डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, विशिष्ट अतिथि डॉ. शहाबुद्दीन शेख, राष्ट्रीय मुख्य संयोजक पुणे एवं श्री शरद चन्द्र शुक्ल शरद आलोक, ऑस्लो नॉर्वे थे। अध्यक्षता श्री ब्रजकिशोर शर्मा, अध्यक्ष राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने की। विशिष्ट वक्ता श्रीमती सुवर्णा जाधव राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पुणे एवं डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव थे।


मुख्य वक्ता प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि भारत में सदियों पूर्व से गणतंत्र की अवधारणा और गणतांत्रिक शासन व्यवस्था रही है। जनपद और महाजनपद के अस्तित्व में आने के पहले ही गणतांत्रिक प्रणाली स्थपित हो चुकी थी। गणतंत्र में शक्ति का संकेंद्रण मुख्य शासक के बजाय एक परिषद या सभा में निहित होती था। सभा की सदस्यता जन्म या वंश के स्थान पर कर्म सिद्धांत पर आधारित थी। उसमें ऐसे लोग शामिल किए जाते थे, जिन्होंने अपने कार्यों से विशेष स्थान अर्जित किया था। भारत की गणतांत्रिक प्रणाली वर्तमान विश्व को प्रेरणा दे रही है।


आभासी संगोष्ठी के मुख्य अतिथि हिन्दी परिवार इन्दौर के अध्यक्ष श्री हरेराम वाजपेयी ने अपने उद्बोधन में कहा कि बसंत पंचमी जो बसंत ऋतु का महत्वपूर्ण दिव होता है। धरती पर चारो ओर बसंत का उल्लास रहता है। वरिष्ठ कवि श्री सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का जन्मदिवस भी है।
समारोह के विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय मुख्य संयोजक डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख ने अपने वक्तव्य में बताया कि हम कर्त्तव्य पथ पर चलते हुए ही समाज और देश को सशक्त कर सकते है अगर लगन हो, अपने कर्त्तव्यों के प्रति गंभीरता हो तो एक व्यक्ति भी पूरे समाज का भविष्य बदल सकता है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने कहा कि आज निरालाजी के जन्मदिवस के साथ ही देश का गणतंत्र दिवस भी है। गणतंत्र हमारा अभिमान और तिरंगा हमारी शान है। आइये हम सभी राष्ट्रीय एकता और अखंडता बनाये रखने का संकल्प ले। बसंत पंचमी को पीले वस्त्रो का महत्व होता है। राष्ट्र के लिये हम तन, मन एवं धन से समर्पण की भावना रखे।


संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए वाग्देवी सरस्वती के प्राकट्य दिवस पर विशेष आराधना एवं वंदना राष्ट्रीय सचिव श्वेता मिश्रा ने प्रस्तुत की। स्वागत भाषण महिला इकाई की राष्ट्रीय मुख्य महासचिव डॉ रश्मि चौबे ने दिया। संगोष्ठी की प्रस्तावना राष्ट्रीय सचिव डॉ शहनाज शेख, नांदेड ने प्रस्तुत की। उन्होंने वसंत ऋतु वसंत पर्व तथा गणतंत्र दिवस की व्याख्या प्रस्तुत की। विशिष्ट वक्ता राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर प्रभु चौधरी ने वसंत ऋतु की महत्ता और गायत्री परिवार के प्रवर्तक गुरुदेव श्री राम शर्मा आचार्य के अवतरण दिवस पर अपने विचार व्यक्त किए। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती सुवर्णा जाधव ने संविधान निर्माण और विद्या की देवी सरस्वती के संबंध में विस्तार से प्रकाश डाला। विशेष रूप से आमंत्रित कवि श्री नंद कुमार मिश्र ने गीत के माध्यम से बसंत पर्व का वर्णन किया। कवि श्री गोविंद जी पुणे, श्रीमती शालिनी शर्मा बरेली, श्री सुंदर लाल जोशी सूरज नागदा, श्रीमती किरण पोरवाल, उज्जैन आदि ने काव्य पाठ किया। काव्य पाठ श्रीमती शैली भागवत इन्दौर, सुश्री प्रतिमा सिंह सरदारपुर, डॉ. मुक्ता कौशिक रायपुर आदि ने किया। समारोह की स्वागताध्यक्ष डॉ. रश्मि चौबे एवं संचालक श्वेता मिश्र पुणे थीं। संगोष्ठी की प्रस्तावना डॉ. शहनाज शेख नांदेड ने की। आभार प्रदर्शन आयोजक डॉ. अपराजिता शर्मा रायपुर ने व्यक्त किया। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. संगीता पाल थीं।
संगोष्ठी का सफल संचालन वरिष्ठ कवयित्री श्वेता मिश्र ने एवं आभार राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अपराजिता शर्मा रायपुर ने माना। यह जानकारी राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री सुन्दरलाल जोशी ने दी।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar