राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद के अध्यक्ष डॉ. एन.एस. कल्सी ने अपने उद्घाटन भाषण में शिक्षकों के विकास के लिए रीसेंट ट्रेंड्स और इसके प्रभावों को साझा किया।उन्होंने कहा की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क की आवश्यकता है। डॉ दिनेश कुमार, कुलपति, गुरुग्राम विश्वविद्यालय हरियाणा ने कक्षा में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के लिए शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। इस परियोजना के समन्वयक प्रोफेसर राजेश खंबायत और डॉ रोली प्रधान, एनआईटीटीटीआर भोपाल द्वारा किया गया । इस कार्यक्रम में डॉ वीरेंदर कुमार, डॉ बी वी कामत ,डॉ संदीप केदार सहित कई शिक्षाविद एवं प्रसाशकों ने भाग लिया।
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ | Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं। उनके उपन्यास और कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है। मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...
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