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विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्त्व संग्रहालय का बदलेगा स्वरूप

18 जनवरी को महामहिम राज्यपाल और उच्च शिक्षा मंत्री करेंगे भूमिपूजन

14 करोड़ से संवरेगा उज्जैन का संरक्षित इतिहास

भवन निर्माण सहित नई वीथिकाएँ बनेंगी

उज्जैन। अत्यंत प्राचीन नगरी उज्जैन के सैंकड़ों साल के संरक्षित इतिहास को आने वाले दिनों में सँवारने का कार्य किया जा रहा है। भवन निर्माण के साथ-साथ नई वीथिकाओं का भी निर्माण किया जाएगा। इस कार्य का भूमिपूजन 18 जनवरी, बुधवार को विक्रम कीर्ति मंदिर परिसर में मध्याह्न 12:00 बजे मध्य प्रदेश के महामहिम राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल के मुख्य आतिथ्य में एवं माननीय उच्च शिक्षा मंत्री मध्यप्रदेश शासन डॉ मोहन यादव की अध्यक्षता में होगा। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री अनिल फिरोजिया माननीय सांसद उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र, श्री पारस जैन माननीय विधायक उज्जैन उत्तर, श्री मुकेश टटवाल, माननीय महापौर नगर निगम उज्जैन, श्रीमती कलावती यादव, माननीय अध्यक्ष नगर निगम, उज्जैन एवं प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय माननीय, कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन होंगे। यह जानकारी देते हुए प्रो. प्रशांत पुराणिक, कुलसचिव, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन एवं डॉ. रमण सोलंकी, उत्खनन अधिकारी, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने बताया कि विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्त्व संग्रहालय में उज्जैन के इतिहास से जुड़े कई तथ्य मौजूद हैं। इस संग्रहालय को आने वाले दिनों में सरकार 14 करोड़ रुपये की लागत से सँवारने जा रही है। माननीय उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव के प्रयास से संग्रहालय को अत्याधुनिक रूप देने एवं संरक्षित प्रतिमाओं तथा अवशेषों को संरक्षित रखने के लिए 14 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। इस राशि से विक्रम विश्वविद्यालय के विक्रम कीर्ति मंदिर स्थित पुरातत्त्व संग्रहालय में रखी पुरातात्विक धरोहर जिसमें 5 लाख साल पुराना विश्व प्रसिद्ध हाथी का मस्तक, गैंडे का सींग, दरियाई घोड़े का दाँत, जंगली भैंसे का जबड़ा एवं अन्य 200 जीवाश्म (फॉसिल्स) एवं अन्य अवशेष प्रमुख हैं। इन्हें विभिन्न वीथिकाओं में प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा संग्रहालय में भीमबेटका के पुरातात्विक उत्खनन में डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा एकत्रित आदिमानव द्वारा निर्मित प्रस्तर औजारों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।


मौर्य पूर्व युगीन उज्जैन के राजा चण्डप्रद्योत के काल में निर्मित लकड़ी की दीवार एवं बंदरगाह के अवशेष के रूप में गढ़कालिका क्षेत्र स्थित क्षिप्रा नदी के तट से प्राप्त 10 काष्ठ लठ्ठे जो कि 2600 वर्ष पूर्व के हैं, वह भी प्रदर्शित किये जाएंगे। उज्जैन के ग्रामीण क्षेत्रों कायथा, महिदपुर, आजादनगर, रूनीजा, सोडंग, टकरावदा के उत्खनन के साथ प्राप्त चार हजार वर्ष पुरानी पुरातात्विक सामग्री भी संग्रहालय में प्रदर्शित की जाएगी। इसके अलावा संग्रहालय में दुर्लभ 472 प्रस्तर प्रतिमाएँ जो मौर्य काल से लेकर मराठा काल तक की हैं। इन्हें भी नवनिर्मित वीथिकाओं में प्रदर्शित कर संग्रहालय को भव्य स्वरूप दिये जाने की योजना बनाई गई है। इस कार्य में प्रथम चरण में 7.5 करोड़ रूपये की लागत से भवन निर्माण तथा 6.5 करोड़ रूपये की लागत से इंटीरियर कार्य कराया जाएगा।

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