गांधी जी की पुण्यतिथि पर विक्रम विश्वविद्यालय में हुआ भारतीय चिंतन परम्परा और महात्मा गांधी पर विशिष्ट व्याख्यान
उज्जैन। गांधी जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि, मौन श्रद्धांजलि और उनके प्रिय भजनों की प्रस्तुति की गई
विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर भारतीय चिंतन परम्परा और महात्मा गांधी पर केंद्रित विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन 30 जनवरी 2023, सोमवार को प्रातःकाल में महाराजा जीवाजीराव पुस्तकालय परिसर में सम्पन्न हुआ। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. त्रिभुवननाथ शुक्ल, जबलपुर थे। अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। पुस्तकालय प्रांगण में सामूहिक मौन धारण कर गांधी जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।
मुख्य अतिथि प्रो त्रिभुवननाथ शुक्ल, जबलपुर ने कहा कि भारत को जानना हो तो गांधीजी के जीवन कार्यों और लेखन के माध्यम से जाना जा सकता है। उनके विचारों का मंत्रों के समान प्रभाव होता है। भारत में सभी के लिए धर्म पर आश्रित जीवन की व्यवस्था दी गई है। गांधीजी ने इसी प्रकार का जीवन जिया। उन्होंने अपने आचरण के माध्यम से कर्तव्य का पथ दिखाया है। गांधीजी ने सिद्ध किया कि भारत का प्राचीन साहित्य हमारे जीवन की आचार संहिता है। श्रीमद्भगवद्गीता और रामचरितमानस को आत्मसात करने से सब कुछ सिद्ध हो सकता है। वे परम वैष्णव थे। उनका विश्वास सच्चिदानंद में था। उनके विचारों पर चलते हुए हम अपने सीमित दायरों, क्षुद्रताओं और अहंकार से मुक्त हो सकते हैं। गांधी जी की यात्रा मैं से हम हो जाने की यात्रा है। वे मनुष्य से महात्मा और महात्मा से देवत्व तक पहुंचे।
कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि महात्मा गांधी ने नशे को अभिशाप के रूप में बताया है। वर्तमान में उनके द्वारा बताए गए स्वाबलंबन, एकता और स्वानुशासन के पथ पर चलने की आवश्यकता है। हमें दहेज सहित तमाम प्रकार की कुरीतियों से मुक्त होना चाहिए। महात्मा गांधी ने भारतीय भाषाओं के प्रति सम्मान की प्रेरणा दी है, जिस पर आज अमल करने की आवश्यकता है। युवा पीढ़ी खाद्य पदार्थों के अपव्यय को रोकने के साथ ऊर्जा और प्रकृति संरक्षण तथा सामाजिक समरसता की शपथ ले। हमें राष्ट्र की विरासत पर गर्व होना चाहिए। वर्तमान में सोशल मीडिया में व्याप्त विसंगतियां नई पीढ़ी को ग्रसित कर रही हैं। उसके माध्यम से फैल रहे नकारात्मक विचारों से लोगों को मुक्त करने की जरूरत है।
प्रारम्भ में विषय प्रवर्तन करते हुए कुलानुशासक एवं गांधी अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी का चिंतन समावेशी है, वह ठोस भारतीय जमीन से जुड़ा है। गांधी जी की विश्व दृष्टि अत्यंत व्यापक है। उन्होंने जिस लड़ाई को लड़ा, वह अहिंसक तो थी, किंतु निष्कर्म और अनाक्रमक किंचित भी नहीं थी। उसमें सत्य, नीति और धर्म का आधार था। उनका चिंतन भारतीय दर्शन के मूलाधार पर टिका है, जो सर्वत्र आत्मा की एकता देखता है। ब्रह्मांड को वे एक जैविक समग्रता में देखने पर बल देते हैं। गांधी के लिए सत्य शब्द, कर्म में सत्य का सापेक्ष सत्य है और पूर्ण सत्य - परम वास्तविकता है। यह परम सत्य ईश्वर है। महात्मा गांधी आज भी अपने विचारों के माध्यम से जीवित हैं।
इस अवसर पर इस अवसर पर प्रो त्रिभुवननाथ शुक्ल, जबलपुर को अतिथियों द्वारा शॉल, पुष्पमाल एवं पुस्तक अर्पित कर उनका सारस्वत सम्मान किया गया।
विक्रम विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में कार्यक्रम में कुलपति प्रो पांडेय ने उपस्थित जनों को नशा निषेध की शपथ दिलाई। पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो हरिमोहन बुधौलिया विशेष रूप से उपस्थित थे। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार से सहायता प्राप्त संस्था जाग्रति नशामुक्ति केंद्र द्वारा नशा विरोधी प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी का संयोजन श्री चिंतामणि गेहलोत, विनोद कुमार दवे, श्री राजेश ठाकुर एवं श्री देवीलाल मालवीय ने किया। सामाजिक न्याय विभाग के अंतर्गत कलापथक के कलाकारों द्वारा महात्मा गांधी के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेणे कहिए एवं रघुपति राघव राजाराम और नशा विरोधी गीत की प्रस्तुति की गई। दल के कलाकारों में सुनील फरण, सुरेश कुमार, नरेंद्रसिंह कुशवाह, राजेश जूनवाल, अनिल धवन, सुश्री अर्चना मिश्रा, आनंद मिश्रा आदि शामिल थे।
अतिथि स्वागत गांधी अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, श्री चिंतामणि गेहलोत, विनोद कुमार दवे, डॉ रमण सोलंकी, डॉ निवेदिता वर्मा, डॉ प्रीति पांडेय, डॉ अजय शर्मा, डॉ हेमंत लोदवाल, श्री कौशिक बोस, श्री कमल जोशी, श्री अमरनाथ, पूजा पाटीदार, योगेश द्विवेदी, श्री बद्रीलाल डाबी आदि ने किया। आयोजन में अनेक प्रबुद्धजनों, शिक्षकों और विद्यार्थियों ने भाग लिया।
आयोजन का संचालन वरिष्ठ पत्रकार श्री अर्जुनसिंह चंदेल ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ अजय शर्मा ने किया।
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