Skip to main content

प्लास्टिक स्वयं में एक समस्या नहीं, उसका दुरुपयोग और यथोचित प्रबंधन का अभाव एक समस्या है - कुलपति प्रो पांडेय

जबलपुर के हितकारिणी महाविद्यालय में प्लास्टिक उपयोग एवं दुरुपयोग विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पांडेय मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित


जबलपुर के हितकारिणी महाविद्यालय में प्लास्टिक उपयोग एवं दुरुपयोग विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किये गए। अपने वक्तव्य में कुलपति प्रो पांडेय ने कहा कि भारत से एक साल में लगभग 3.3 मैट्रिक मिलियन टन प्लास्टिक वेस्ट जनरेट होता है, रोज लगभग 9,200 टन प्लास्टिक वेस्ट जनरेट होता है। अतः भारत में प्लास्टिक वेस्ट का प्रबंधन एक अत्यंत गंभीर और महत्वपूर्ण विषय है। अपनी बात को बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि प्लास्टिक, उत्पादों को पानी और नमी से बचाता है, वह हल्का होता है, अधिक टिकाऊ और कई विकल्पों की तुलना में अधिक सस्ता होता है। इसीलिए यह कहना अनुचित नहीं होगा कि प्लास्टिक स्वयं में एक समस्या नहीं है, बल्कि उसका दुरुपयोग और उसके यथोचित प्रबंधन का अभाव एक समस्या है। अगर आबादी द्वारा फेंके जाने वाले कचरे का निस्तारण सही तरीके से हो और पुनर्चक्रण के लिए उपयोगी प्लास्टिक को छांट कर उसे उचित क्षेत्र तक पहुंचा दिया जाए तो प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन की चिंता से कुछ हद तक पार पाया जा सकता है।

प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के बारे में समझाते हुए कुलपति प्रो पांडेय ने कहा कि प्लास्टिक के इस्तेमाल से सीसा, कैडमियम और पारा जैसे रसायन सीधे मानव शरीर के संपर्क में आते हैं। ये जहरीले पदार्थ कैंसर, जन्मजात विकलांगता, इम्यून सिस्टम और बचपन में बच्चों के विकास को प्रभावित कर सकते है। उन्होंने यह भी बताया कि प्लास्टिक से होने वाले रोगों में मुख्यतः दमा, पलमोनेरी कैंसर, तंत्रिका और मस्तिष्क को नुकसान, गुर्दे की तकलीफ और दमा जैसी जान लेवा बीमारियाँ हो जाती हैं जो कि जानलेवा साबित हो सकती है। कुलपति प्रो पांडेय के इस वक्तव्य पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो प्रशांत पुराणिक ने बताया कि प्लास्टिक का दुरुपयोग जीव-जन्तुओं के लिए अत्यंत हानिकारक है और विक्रम विश्वविद्यालय भी अपने परिसर को प्लास्टिक रहित करने की राह पर अग्रसर है।

इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कुलपति जी को बधाई देते हुए बताया कि प्लास्टिक का उपयोग एवं उसका उपयुक्त प्रबंधन पर्यावरण के संतुलन के लिए आवश्यक है और विक्रम विश्वविद्यालय के अधिकारी एवं शिक्षक सदैव पर्यावरण संरक्षण एवं जन-कल्याण के विषयों से जुड़े रहते हैं।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...