शैक्षणिक संस्थानों का सर्वांगीण विकास आपसी ताल-मेल और संसाधनों के आदान प्रदान से संभव- कुलपति प्रोफेसर पांडेय
उज्जैन। दिनांक 26 फरवरी 2013 को विक्रम विश्वविद्यालय और शासकीय कन्या महाविद्यालय रीवा के मध्य एम.ओ.यू. संपन्न हुआ, जिसमें दोनों संस्थानों के मध्य छात्र विनिमयन कार्यक्रम, संगोष्ठी और शिक्षा को लाभान्वित करने वाले माध्यमों की निरंतरता बनाये रखना तय किया गया।
दिनांक 26 फरवरी 2013 को विक्रम विश्वविद्यालय और शासकीय कन्या महाविद्यालय रीवा के मध्य एमओयू संपन्न हुआ, जिसमें दोनों संस्थानों के मध्य छात्र विनिमयन कार्यक्रम, संगोष्ठी और शिक्षा को लाभान्वित करने वाले माध्यमों की निरंतरता बनाये रखना तय किया गया। छात्र विनिमयन के तहत विश्वविद्यालय में आईं रीवा महाविद्यालय की छात्राओं को सम्बोधित करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने कहां कि विक्रम विश्वविद्यालय का सृजन-जगतगुरु श्री कृष्ण के यशस्वी आचार्य महर्षि सान्दीपनि और सम्राट विक्रमादित्य की कर्मभूमि उज्जैन के इस विद्यानगरी के वैभव को पुनः प्रतिष्ठापित करने के उद्देश्य से 1956 में हुआ था और यह मध्यप्रदेश के सबसे प्रसिद्ध एवं प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में से एक है। यह विश्वविद्यालय प्राकृतिक सुन्दरता से समृद्ध, हरित एवं लगभग 350 एकड़ प्रभुत्व क्षेत्र में सुव्यवस्थित है जहा लगभग 36 अध्ययनशालाएँ हैं और इसमें 250 से अधिक पाठ्यक्रम संचालित होते हैं।
छात्राओं से चर्चा करते हुए माननीय कुलपति जी ने कहा कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान के सर्वांगीण विकास के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने आस-पास के शैक्षणिक संस्थानों से संपर्क साध कर अपने संसाधन उनके साथ शेयर करे एवं उनकी विशेषताओं को ग्रहण करे और आपस में ताल मेल बना कर रखे। अपनी बात को बढ़ाते हुए प्रोफेसर पांडेय ने कहा कि किन्हीं दो संस्थाओं के बीच एम ओ यू का मुख्य उद्देश्य यह है कि उन संस्थाओं के विद्यार्थियों के मध्य विचारो का तथा शैक्षणिक विशेषताओं और गुणों का आदान प्रदान निरंतर जारी रहे और विक्रम विश्वविद्यालय सदैव इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए तैयार रहता है।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक ने बताया कि शासकीय कन्या महाविद्यालय रीवा के इतिहास विभाग की छात्राओं ने छात्र विनिमयन कार्यक्रम के तहत विक्रम विश्वविद्यालय का भ्रमण किया और उज्जैन शहर और विक्रम विश्वविद्यालय से जुड़े कई महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानकारी भी हासिल की।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने यह जानकारी देते हुए हर्ष व्यक्त किया और कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय सदैव ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देता आया है और भविष्य में भी देता रहेगा।
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