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स्कूल संचालक व प्राचार्य छात्रों को किसी एक दुकान या विक्रेता से पुस्तकें, कापियां, यूनिफार्म खरीदने के लिये मजबूर नहीं कर सकेंगे, कलेक्टर ने धारा-144 के तहत आदेश जारी किये

उज्जैन। जिले के स्कूल संचालक, प्राचार्य अब छात्रों को किसी एक दुकान या विक्रेता से पुस्तकें, कापियां, यूनिफार्म, जूते, टाई आदि खरीदने के लिये मजबूर नहीं कर सकेंगे। कलेक्टर ने दण्ड प्रक्रिया संहिता-1973 की धारा-144(1)(2) के तहत स्कूल संचालकों, प्रकाशकों एवं विक्रेताओं के एकाधिकार को खत्म करने हेतु प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिये हैं। आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति, संस्था, आयोजक के विरूद्ध भारतीय दण्ड प्रक्रिया की धारा-188 के तहत दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। आदेशों की अवहेलना किये जाने पर शाला के प्राचार्य, संचालक के साथ ही शाला प्रबंधन बोर्ड के सभी संचालक भी दोषी माने जायेंगे।

कलेक्टर द्वारा जारी किये गये आदेश के तहत सभी स्कूल संचालकों एवं प्राचार्य को निर्देश दिये गये हैं कि वे अनिवार्य पुस्तकों की सूची विद्यालय के परीक्षा परिणाम के पूर्व स्कूल की वेब साइट पर अनिवार्य रूप से अपलोड करें व सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा करें। साथ ही पुस्तकों की सूची की एक प्रति अभिभावकों को प्रवेश के समय अथवा परीक्षा परिणाम के समय उपलब्ध करवायें। अभिभावकों को सूचीबद्ध पुस्तकें परीक्षा परिणाम अथवा उसके पूर्व क्रय किये जाने हेतु बाध्य नहीं करेंगे। अभिभावक पुस्तकों की उपलब्धता के आधार पर 15 दिन तक क्रय कर सकेंगे। ऐसी स्थिति में अप्रैल माह में प्रारम्भ होने वाले शैक्षणिक सत्र में प्रथम 30 दिवस की अवधि 1 से 30 अप्रैल तक का उपयोग विद्यार्थियों के ओरिएंटेशन, व्यावहारिक व मनोवैज्ञानिक पद्धति से शिक्षण में उपयोग किया जा सकता है।
कलेक्टर ने निर्देश दिये हैं कि सभी स्कूल संचालक जिस नियामक बोर्ड (सीबीएसई, आईसीएसई या माध्यमिक शिक्षा मण्डल) से संबद्ध है, उस संस्था के द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम व पाठ्यक्रम के अन्तर्गत नियामक संस्था अथवा उसके द्वारा विधिक रूप से अधिकृत एजेंसी यथा- एनसीआरटी, पाठ्यपुस्तक निगम आदि के द्वारा प्रकाशित एवं मुद्रित पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य प्रकाशकों, मुद्रकों द्वारा प्रकाशित की जाने वाली पुस्तकों को विद्यालय में अध्यापन हेतु प्रतिबंधित करेंगे। इसके अतिरिक्त स्कूल संचालकों द्वारा अभिभावकों व विद्यार्थियों को अन्य विषयों जैसे नैतिक शिक्षा, सामान्य ज्ञान, कम्प्यूटर आदि की निजी प्रकाशकों व मुद्रकों द्वारा प्रकाशित पुस्तकें क्रय करने, कापियां, सम्पूर्ण यूनिफार्म आदि सम्बन्धित स्कूल अथवा संस्था या दुकान विक्रेता से क्रय करने हेतु बाध्य नहीं किया जायेगा।
जारी किये गये आदेश के अनुसार स्कूल संचालक पालक-शिक्षक संघ अथवा अन्य अवसरों पर सुनिश्चित करेंगे कि निजी प्रकाशक, मुद्रक, विक्रेता स्कूल परिसर के भीतर प्रचार-प्रसार हेतु किसी भी स्थिति में प्रवेश नहीं करेंगे। स्कूल संचालकों एवं विक्रेताओं द्वारा पुस्तकों के सेट की कीमत बढ़ाने हेतु अनावश्यक सामग्री जो निर्धारित पाठ्यक्रम से सम्बन्धित नहीं है, का समावेश सेट में नहीं किया जायेगा। कोई भी विक्रेता किसी भी कक्षा के पूरे सेट को क्रय करने की बाध्यता नहीं रखेगा। यदि किसी विद्यार्थी के पास पुरानी किताबें उपलब्ध हों, तो उसे केवल उसकी आवश्यकता की पुस्तकों को ही विक्रेता द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा। नोटबुक पर ग्रेड, किस्म, साइज, मूल्य, पेज आदि की संख्या स्पष्ट रूप से उल्लेखित होना चाहिये। कोई भी विद्यालय अधिकतम दो से अधिक यूनिफार्म निर्धारित नहीं कर सकेंगे। ब्लेजर इसके अतिरिक्त होगा। विद्यालय प्रशासन के द्वारा स्कूल यूनिफार्म का निर्धारण इस प्रकार किया जायेगा कि कम से कम तीन सत्र तक उसमें परिवर्तन न हो। विद्यालय प्रशासन द्वारा वार्षिकोत्सव अथवा किसी अन्य आयोजन पर किसी भी प्रकार की वेशभूषा को विद्यार्थियों को अथवा पालकों को क्रय करने हेतु बाध्य नहीं किया जायेगा। जिन विषयों के सम्बन्ध में नियामक संस्था द्वारा कोई पुस्तक प्रकाशित अथवा मुद्रित नहीं की गई है, उस विषय से सम्बन्धित किसी अन्य पुस्तक को अनुशंसित करने के पूर्व स्कूल संचालक सुनिश्चित करेंगे कि उक्त पुस्तक की पाठ्य सामग्री ऐसी आपत्तिजनक नहीं हो, जिससे लोक प्रशांति भंग होने की संभावना हो। उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो चुके हैं।

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