Skip to main content

राष्ट्रीय लोक सेवा दिवस पर हुआ एक दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम एवं सेमिनार


उज्जैन राष्ट्रीय लोक सेवा दिवस पर प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में एक दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम एवं सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं यू पी एस सी, एम पी पी एस सी, नेट, सेट आदि परीक्षाओं की तैयारी हेतु छात्र - छात्राओं के मार्गदर्शन के लिए सफल कार्यक्रम का आयोजन किया गया।



कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री रोहित चौधरी भारतीय सिविल सर्विस 2021 में 580 रैंक प्राप्त हैं एवं इसके पूर्व वे कौटिल्य एकेडमी एवम् समाधान एकेडमी इंदौर एवं अन्य संस्थाओं में सिविल सर्विस की तैयारियां करवा चुके हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं के विशेषज्ञ श्री दुर्लभ पाल उज्जैन में आईबीएस एकेडमी में शिक्षक हैं। वक्ता गण श्री रोहित चौधरी एवं श्री दुर्लभ पाल द्वारा बेहद रोचक तरीके से छात्र छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु महत्वपूर्ण सुझाव दिए। प्रतियोगी परीक्षा की रणनीति एवं परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के टिप्स एवं टेक्नीक सिखाई गई, जिसका लाभ कई विद्यार्थियों ने आज प्राणिकी एवं प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में उपस्थित होकर लिया। यह आयोजन कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। उनके द्वारा इस प्रकार के छात्र उपयोगी कार्यक्रम आयोजित करने के लिए मार्गदर्शन किया जाता है। इसी तारतम्य में महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन किया गया।


कार्यक्रम का संचालन डॉ संतोष ठाकुर ने किया एवं आभार प्रदर्शन डॉ स्मिता सोलंकी ने किया। इस कार्यक्रम में विभाग के समस्त शिक्षक गण डा अरविंद शुक्ला, डा गरिमा शर्मा, श्रीमती शीतल चौहान एवं कर्मचारी गण ने सहभागिता की। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ डा प्रशांत पुराणिक एवं कुलानुशासक डॉ शैलेंद्र कुमार शर्मा द्वारा छात्र छात्राओं को मार्गदर्शन दिया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ सलिल सिंह ने की।

कार्यक्रम को लेकर छात्र-छात्राओं में अत्यधिक उत्साह था एवं उन्होंने इस प्रकार के आयोजन किए जाने पर विभागाध्यक्ष का धन्यवाद दिया एवं आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु रणनीति भी तैयार की।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...