भारत में पाए जाने वाले जंतुओं के निरंतर अन्वेषण हेतु दृढ़ संकल्पित है जेड. एस. आई - डॉ धृति बनर्जी
जैव विविधता के संरक्षण एवं नवीन अन्वेषणों के लिए भारतीय उपमहाद्वीप में प्रतिष्ठित संस्थान से एमओयू ऐतिहासिक उपलब्धि है – कुलपति प्रो पांडेय
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, कोलकाता एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के मध्य एम. ओ. यू संपन्न
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन एवं जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, कोलकाता (जेड. एस. आई) के मध्य महत्वपूर्ण द्विपक्षीय समझौता (एमओयू) किया गया। भारत में पाए जाने वाले जंतुओं का सर्वेक्षण, पहचान, वर्गीकरण, महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी प्रणालियों के जीव, संकटापन्न प्रजातियों की स्थिति के सर्वेक्षण आदि के लिए कार्य करने वाला जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थान है। इस संस्थान से एम.ओ.यू. होने पर विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थी एवं शोधार्थियों को जंतुओं के सर्वेक्षण, अन्वेषण, अनुसंधान, प्रलेखन एवं जैवपारिस्थितिकी के क्षेत्र में अध्ययन एवं अनुसंधान में उत्कृष्ट तकनीकों का ज्ञान प्राप्त होगा।
विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा उत्कृष्ट शिक्षा एवं अनुसंधान में नवाचार हेतु निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसी तारतम्य में विश्वविद्यालय प्रशासनिक क्षेत्र में स्थित माधव भवन में भारतीय प्राणी सर्वेक्षण एवं विक्रम विश्वविद्यालय के मध्य द्विपक्षीय समझौता - एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण 107 वर्ष पुराना 1916 में स्थापित देश का राष्ट्रीय स्तर का संस्थान है, जिसका हेड क्वार्टर कोलकाता पश्चिम बंगाल में है। इस संस्थान के अंतर्गत 16 क्षेत्रीय केंद्र देश भर में फैले हुए हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में इस संस्थान द्वारा विभिन्न प्रकार के जंतुओं का सर्वेक्षण, अन्वेषण, अनुसंधान, प्रलेखन एवं जैवपारिस्थितिकी के अध्ययन के साथ-साथ जंतुओं के संरक्षण का कार्य किया जाता है। यह एमओयू विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को जंतु वर्गीकरण, जैव विविधता, अन्वेषण एवं अनुसंधान के क्षेत्र में नवीन वैज्ञानिक तकनीकों की जानकारी प्राप्त करने हेतु महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि जेड. एस. आई भारत का प्राचीन उत्कृष्ट संस्थान है जिसकी स्थापना 1916 में की गई थी। यह संस्थान जैव विविधता के संरक्षण एवं नवीन अन्वेषणों हेतु भारतीय उपमहाद्वीप में प्रतिष्ठित है। इस संस्थान के साथ एमओयू करते हुए हर्ष का अनुभव हो रहा है। यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है। निश्चित ही यह एमओयू हमारे विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को जंतु जैवविविधता अध्ययन के क्षेत्र में नवीन तकनीकी जानकारी प्राप्त करने में महत्वपूर्ण होगा।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया कोलकाता की निदेशक डॉक्टर धृति बनर्जी ने बताया कि जेड. एस. आई भारत में पाए जाने वाले जंतुओं के निरंतर अन्वेषण हेतु दृढ़ संकल्पित है। इस संस्थान द्वारा देश में संकटग्रस्त प्राणियों की सूची तैयार करते हुए उनके संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया जाता है। आज इस कार्यक्रम में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के साथ एमओयू होने पर मैं गौरवान्वित महसूस करती हूं।
यहां के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को पर्यावरण सूचना प्रणाली (इएनवीआईएस) जंतुओं की विविधता, संकटग्रस्त प्रजातियों पर भौगोलिक सूचना प्रणाली, डीएनए फिंगरप्रिंटिंग जैसी उत्कृष्ट तकनीकी की जानकारी प्राप्त होगी तथा इस क्षेत्र में देश में कुशल मानव संसाधन का विकास होगा।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि पद्मश्री से सम्मानित श्री उमाशंकर पांडेय, बांदा उत्तर प्रदेश ने अपने उद्बोधन में कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन निरंतर अनुसंधान की उत्कृष्टता हेतु प्रयासरत रहता है। जेड. एस. आई. जैसे देश के अग्रणी संस्थान से एमओयू द्वारा विद्यार्थीगण लाभान्वित होंगे।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री मनोज अग्रवाल, मुख्य वन संरक्षक, उज्जैन संभाग ने बताया कि वन्य प्राणि संरक्षण एवं जैवविविधता के क्षेत्र में अनुसंधान हेतु विश्वविद्यालय द्वारा जेड.एस.आई. से किया गया एमओयू उपयोगी होगा।
कार्यक्रम में डॉ. प्रशांत पुराणिक, कुलसचिव, विक्रम विश्वविद्यालय ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा यह एमओयू निश्चित ही अनुसंधान के क्षेत्र में विद्यार्थियों के लिये अत्यन्त लाभदायक होगा। विश्वविद्यालय द्वारा किया गया यह द्विपक्षीय समझौता सैद्धांतिक एवं तकनीकी क्षेत्र के लिये भी महत्वपूर्ण है।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों की उत्तरोत्तर प्रगति के लिये सतत प्रयासशील है। जीव एवं पादपों की अद्वितीय विविधता और पारिस्थितिक तंत्र भारत की विशेषता है। जेड. एस. आई. जैसे संस्थान के साथ द्विपक्षीय समझौता विश्वविद्यालय के बहुउद्देश्यीय प्रयासों को प्रमाणित करता है।
कार्यक्रम में प्रो. डी.एम. कुमावत संकायाध्यक्ष, जीव विज्ञान संकाय ने स्वागत भाषण तथा अतिथियों का परिचय कराया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. गरिमा शर्मा ने किया एवं आभार डॉ. सलिलसिंह, विभागाध्यक्ष, प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला ने व्यक्त किया।
कार्यक्रम में प्रो. अर्पण भारद्वाज, अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, म.प्र. शासन, उज्जैन नगर निगम के पूर्व सभापति श्री सोनू गेहलोत, श्री प्रशांत शर्मा ने विशेष रूप में सहभागिता की। कार्यक्रम में प्रो. उमा शर्मा, विभागाध्यक्ष, रसायन विज्ञान, प्रो. कमलेश दशोरा, विभागाध्यक्ष, फॉर्मेसी अध्ययनशाला, डॉ. राजेश्वर शास्त्री मुसलगांवकर, डॉ. संतोष ठाकुर, डॉ. स्मिता सोलंकी, डॉ. अंजलि उपाध्याय उपस्थित थे।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. अरविंद शुक्ल, डॉ. शिवि भसीन एवं डॉ. पूर्णिमा त्रिपाठी थे। भारतीय प्राणिकी सर्वेक्षण के क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर से डॉ. संदीप कुशवाह, डॉ. देवाश्री दास, डॉ. अतानु नस्कर (कोलकाता) उपस्थित थे।
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