डॉ सक्सेना ने बताया कि इसके द्वारा डॉक्टरों को ऑपरेशन से सम्बंधित विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक करने में विशेष प्रकार से लाभ होगा, साथ ही यदि रोगी का कोई भी मामला डॉक्टरों द्वारा सुलझाया नहीं जा सकता है, तो विशेषज्ञ को खोजने के लिए रोबोटिक डिवाइस को ऑनलाइन डेटाबेस के माध्यम से जोड़ने और उचित समाधान खोजने के लिए उन्हें अस्पताल के कर्मचारियों से जोड़ने के लिए स्मार्ट बनाया गया है। यदि इस क्षेत्र में कोई नया शोध हुआ है तो डॉक्टर को इसकी सूचना भी दी जाएगी । डॉ सक्सेना ने यह रिसर्च बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मेसरा, झारखण्ड के प्रोफेसर शशांक पुष्कर के साथ मिलकर तैयार किया है।
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ | Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं। उनके उपन्यास और कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है। मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...
Comments