भोपाल। एनआईटीटीटीआर भोपाल में एसपीए भोपाल, एनआईडीएम एवं एनआईटीटीटीआर ने संयुक्त रुप से “डिजास्टर एंड क्लाइमेट रेजीलियंस इन सिटीज: लोकलाइजिंग एसडीजीएस” विषय पर तीन दिवसीय ट्रेनिंग कम सिम्पोजियम का समापन हुआ।
इस कार्यक्रम के समापन समारोह में एनआईटीटीटीआर के निदेशक प्रोफेसर सी.सी त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में पर्यावरण को देवतुल्य स्थान दिया गया है। यही कारण है कि पर्यावरण के सभी अंगो को जैसे जल, वायु, भूमि एवं कई सारे वृक्षों को देवताओं से जोड़ा गया है, देवता ही माना गया है। वैदिक काल से इन तत्वों को देवता मान कर इनकी रक्षा करने का निर्देश मिलता है। इसलिए पर्यावरण सहेजना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। प्रोफेसर सी.सी त्रिपाठी ने कहा कि हमारे देश में प्राचीनकाल की कई इमारतें एवं मंदिर इस प्रकार से डिज़ाइन की जाती थी की प्राकृतिक आपदा में उनको नुकसान नहीं पहुंचता था। आज के समय में भी हमें उस प्राचीन ज्ञान को उपयोग करते हुए आपदा प्रबंधन कर सकते हैं। इस कार्यक्रम का उद्घाटन पर्यावरण एवं पशुपालन मंत्रालय के प्रिसिपल सेक्रेटरी श्री गुलशन बामरा एवं एनआईडीएम के डॉ. अनिल गुप्ताद्वारा किया गया था।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पर्यावरण विशेषज्ञों ने आपदा एवं जलवायु रेजीलियंस के सभी पक्षों के बारे में बिस्तृत वर्णन किया । इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देशभर के विभिन्न विभागों के लगभग 53 प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस कार्यक्रम का कोआर्डिनेशन एसपीए भोपाल कि डॉ रमा पाण्डेय द्वारा किया गया।
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