Skip to main content

स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में स्टार्टअप एण्ड इनोवेशन पर सेमिनार सम्पन्न


उज्जैन । दिनांक 26 मई 2023 को स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एन्ड टेक्नोलॉजी, विक्रम विश्वविद्यालय में उज्जैन स्मार्ट सिटी द्वारा स्टार्टअप्स एवं इनोवेशन विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उज्जैन स्मार्ट सिटी के इन्क्यूबेशन सेंटर के इंचार्ज डॉ करन वर्मा मुख्य वक्ता के रूप में एवं अध्यक्ष के रूप में स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एन्ड टेक्नोलॉजी के निदेशक डॉक्टर डी. डी. बेदिया उपस्थित थे।

कार्यक्रम में अतिथि परिचय एवं स्वागत भाषण अमृता शुक्ला द्वारा दिया गया। डॉ करन वर्मा एवं उनकी टीम के द्वारा बताया गया कि, विद्यार्थियों को स्टार्टअप्स का क्या महत्व है? इन्नोवेशन को किस प्रकार से स्टार्टअप्स में परिवर्तित किया जा सकता है और स्टार्टअप को एक लाभदायी बिज़नेस में बदल सकते हैं। हमे अपनी लीडरशिप स्किल को बिज़नेस में उपयोग कर सकते हैं। हमे नोकरी लेने वाला व्यक्ति नही देने वाला बनना है। स्टार्टअप शुरुआत करने में किस तरह की समस्या आती है। उन्हें किस तरह हल किया जा सकता है। सरकार और अन्य एजेंसी स्टार्टअप शुरू करने में सभी तरह से सहयोग प्रदान करती है। इसी तारतम्य में उज्जैन स्मार्ट सिटी के सिंहस्थ मेला कार्यालय में इन्क्यूबेशन सेंटर "यू-इंक्यूब" का संचालन किया जाता है। इसके अंतर्गत उज्जैन में रहकर स्टार्टअप शुरू करने में सहायता की जाएगी। इन्क्यूबेशन सेंटर "यू-इंक्यूब" में नए उद्यमियों को कई तरह की सुविधा उपलब्ध रहेगी। जिसमे उन्हें भौतिक सुविधाओं जैसे ऑफिस, कैंटीन आदि के साथ साथ जरूरत होने पर ट्रेनिंग दी जाएगी, कानूनी सहायता देने के साथ विभिन्न सरकारी लायसेंस लेने में भी मदद की जाएगी। इन्क्यूबेशन सेंटर "यू-इंक्यूब" नए स्टार्टअप्स के लिए एक उपयोगी एवं लाभदायी संस्था की तरह कार्य करेंगी।


स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एन्ड टेक्नोलॉजी के निदेशक डॉक्टर डी. डी. बेदिया ने अपने अध्यक्षीय भाषण में बताया कि, आज के समय में स्टार्टअप्स का किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान है। आज के युवाओं को सही मार्गदर्शन की आवश्यकता है। इन्क्यूबेशन सेंटर के सही उपयोग द्वारा विद्यार्थियों को बहुत सहयोग मिल सकता है। स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एन्ड टेक्नोलॉजी के कुछ विद्यार्थियों ने टेक्नोलॉजी का उपयोग कर ऍप्स, वेबसाइट एवं मशीनरी का निर्माण किया है। इस तरह के सरकारी प्रयासों से विद्यार्थियों के भविष्य के निर्माण में सार्थक प्रयास सिद्ध होगा।

कार्यक्रम में आभार संस्थान के इलेक्ट्रॉनिक्स एन्ड कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष अमित ठाकुर ने दिया। कार्यक्रम में सभी विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, कर्मचारीगण एवं 100 से अधिक विद्यार्थी उपस्थित थे।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...