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डॉ. काशी प्रसाद त्रिपाठी जी को "शिक्षा संस्कृति के बुन्देली रत्न" उपाधि से देवआस्था पुस्तकालय में सम्मान किया

टीकमगढ़ । लौह पुरुष स्व.कपूरचन्द्रघुवारा पूर्व विधायक के आशीर्वाद से संचालित देवआस्था पुस्तकालय द्वारा डॉ.काशी प्रसाद त्रिपाठी वरिष्ठ साहित्यकार एवं इतिहासविद् का सम्मान किया । 

संयोजक पवनघुवारा 'भूमिपुत्र' (बुन्देलखण्ड विशेष पैकेज को लेकर सतत् संघर्षरत कार्यकर्ता) ने विज्ञप्ति मे बताया कि डॉ. काशी प्रसाद त्रिपाठी बुन्देलखण्ड माटी के एक छोटे से झिनगुवाँ गांव की सुगंध मे 3 जुलाई, 1934 को श्रीमती ललिता देवी एवं पं. ठाकुर दास तिवारी के घर जन्मे, आप ने बुंदेलखंड का इतिहास' (1802 से 1858 ई.) विषय पर शोध - आपकी प्रकाशित कृतियां - बुंदेलखंड के दुर्ग - बुंदेलखंड का बृहद इतिहास (राजतंत्र से जनतंत्र) -बुंदेलखंड का सामाजिक-आर्थिक इतिहास- बुंदेलखंड की सांस्कृतिक विरासत-बुंदेलखंड के तालाबों एवं जल प्रबंधन का इतिहास -ओरछा राज्य इतिहास एवं विरासत - बुंदेलखंड की सांस्कृतिक विरासत को प्रकाश में लाने की दिशा में सक्रिय इतिहास पुरातत्व आदि का प्रामाणिक परिचय देश समाज समक्ष प्रस्तुत किया। 

देश मे विभिन्न सामाजिक- सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा उत्कृष्ट लेखन के लिए सम्मानित बहुआयामी व्यक्तित्व और कृतित्व के साधक 92 वर्षीय डॉ.काशी प्रसाद त्रिपाठी जी को  "शिक्षा संस्कृति के बुन्देली रत्न" उपाधि से सम्मानित कर हम गौरवान्वित है। आपके उत्तम स्वास्थ्य एवं सतत यशस्वी सक्रियता की शुभकामनाओं के साथ। उक्त अवसर पर मुख्य अतिथि श्री रज्जू राय अपर संचालक जन सम्पर्क सेवा निवृत्त भोपाल  अध्यक्षता डाँ.आर पी तिवारी , अतिथि डाँ इन्द्र जीत जैन प्राचार्य महाविद्यालय टीकमगढ़ , प्रो ए.बी.खरे महाविद्यालय , एडवोकेट अजीत श्रीवास्तव , डा.प्रिति सुरेन्द्र परमार उपभोक्ता आयोग सदस्य  , जब्बार खान पूर्व अध्यक्ष नगरपालिका टीकमगढ़ , बी.डी.यादव , मनोज साहू पत्रकार  सहित गणमान्यजनो की उपस्थिति रही।  

देवआस्था पुस्तकालय टीकमगढ़ मे  संचालक - श्रीमति प्रियंकाघुवारा, श्रीमति रोहिणी अभिप्रिंस घुवारा (संस्कृत एम. ए.गोल्डमैडल ) अभिषेक घुवारा द्वारा आत्मीय सम्मान किया ।

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