Skip to main content

जलवायु परिवर्तन विषय पर मुख्यमंत्री पीएच. डी. छात्रवृत्ति योजना में चयनित विक्रम विश्वविद्यालय के शोधार्थी श्री ईश्वर शर्मा को कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने दी बधाई

शोधकर्ता श्री ईश्वर शर्मा पर्यावरण विभाग की शोधवृत्ति योजना के अंतर्गत उज्जैन शहर में भूमिगत जल की अतीत और वर्तमान स्थिति पर एक अध्ययन और भविष्य के परिदृश्य की भविष्यवाणी पर करेंगे शोधकार्य


उज्जैन। पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन, पर्यावरण विभाग, म.प्र. शासन, भोपाल द्वारा विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के रिसर्च स्कॉलर श्री ईश्वर शर्मा का चयन पर्यावरण विभाग द्वारा जलवायु परिवर्तन विषय पर मुख्यमंत्री पीएच. डी. छात्रवृत्ति योजना के लिए किया गया है। शोधार्थी की इस उपलब्धि पर कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने बधाई देते हुए कहा कि शोधकर्ता द्वारा गहन अध्ययन, लगन और तन्मयता से यह शोध कार्य किया जाएगा। इससे प्राप्त शोध निष्कर्षों का उपयोग समाज, विश्वविद्यालय और शासन द्वारा मध्यप्रदेश में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की चुनौतियों के समाधान के लिए कारगर साबित होगा।

शोधार्थी श्री ईश्वर शर्मा प्राध्यापक डॉ हरीश व्यास के मार्गदर्शन में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से उज्जैन शहर में भूमिगत जल की अतीत और वर्तमान स्थिति पर एक अध्ययन और भविष्य के परिदृश्य की भविष्यवाणी पर शोध कार्य करेंगे।

कार्यपरिषद कक्ष में 9 जून को आयोजित बैठक में शोधार्थी श्री ईश्वर शर्मा को कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय, कुलसचिव प्रो प्रशांत पुराणिक, जीवविज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो डी एम कुमावत, शोध निर्देशक प्रो हरीश व्यास, कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, डीएसडब्ल्यू प्रो एस के मिश्रा आदि सहित अनेक विभागाध्यक्षों और शिक्षकों द्वारा बधाई और शुभकामनाएं दी गईं। पर्यावरण विभाग की यह योजना प्रदेश के चयनित विश्वविद्यालयों/ शैक्षणिक संस्थानों में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव एवं उपायों से सम्बंधित मौलिक शोध कार्य को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से संचालित है। एप्को में गठित विशेषज्ञ समिति की अनुशंसा पर शोधार्थी श्री ईश्वर शर्मा का चयन ए स्टडी ऑन पास्ट एंड प्रेजेंट स्टेटस ऑफ अंडरग्राउंड वॉटर इन उज्जैन सिटी एंड प्रेडिक्शन ऑफ फ्यूचर सिनेरियो विषय पर शोध हेतु छात्रवृत्ति योजना अंतर्गत किया गया है। इस आशय का पत्र एप्को के कार्यपालन संचालक श्री मुजीबुर्रहमान खान ने जारी किया है।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...