राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका विषय था कथा सम्राट - मुंशी प्रेमचंद और भारतीय समाज की चुनौतियां। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा, हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि प्रेमचंद से जुड़ना लोकतंत्र से जुड़ना है। संवैधानिक मूल्यों के साथ खड़ा होना है। उनमें गहरी वैचारिक दृढ़ता थी, उन्होंने दबाव या प्रलोभनों से समझौता नहीं किया। समकालीन विमर्शों के मूल सूत्र प्रेमचंद के यहां मौजूद हैं। उन्हें पूर्वनिर्धारित वाद या विचारधारा के दायरे में बांधा नहीं जा सकता है। देश आजाद है, पर व्यापक बदलावों के बावजूद स्त्रियों, वंचितों और किसानों की दुरावस्था, अन्याय और शोषण जारी है। प्रेमचंद कथा साहित्य में इन विसंगतियों का तीखा प्रतिकार दिखाई देता है। समारोह के अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख, पुणे ने अध्यक्षीय भाषण में कहा प्रेमचंद को सच्ची भारतीयता की पहचान हैं। विशिष्ट वक्ता राष्ट्रीय मार्गदर्शक डॉ . हरिसिंह पाल म...