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किसी व्यक्ति की शिक्षा तभी पूर्ण होती है, जब वह शिक्षा उसे विपरीत परिस्थितियों में ढलना सिखाए और उसके व्यक्तित्व को उभार कर प्रस्तुत करे - कुलपति प्रो. पांडेय

ग्वालियर में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय परिचर्चा सत्र के अध्यक्ष के रूप में आमंत्रित

ग्वालियर/उज्जैन। दूरस्थ शिक्षण संस्थान, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली, मध्य भारत प्रांत एवं आई टी एम विश्वविद्यालय, ग्वालियर के संयुक्त तत्वावधान में  दिनांक 15-16 जुलाई 2023 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत "शैक्षणिक स्वायत्तता: प्रावधान एवं संभावनाएं" विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर के मालवा सभागार में हुआ। दिनांक 16 जुलाई के शुरूआती सत्र में देश भर से एकत्रित शिक्षाविदों के बीच विचार-विमर्श हुआ, जहाँ कई शिक्षाविदों ने नई शिक्षा नीति पर अपने विचार रखे। 

सत्र की अध्यक्षता करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय ने नई शिक्षा नीति विशेषताओं की चर्चा करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति की शिक्षा तभी पूर्ण होती है, जब यह शिक्षा उसे विपरीत परिस्थितियों में ढलना सिखाए और उसके व्यक्तित्व को उभार कर प्रस्तुत करे। अपनी बात को बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल किताबों का ज्ञान लेना ही नहीं होना चाहिए बल्कि शिक्षा व्यक्ति को उचित अनुचित में भेद करना सिखाती है और उसे समाज में सम्मान से जीने का अवसर प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में भारतीय गुरुकुल परंपरा की छवि साफ तौर पर दिखाई देती है। यह गुरुकुल परंपरा आज भी हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था और संस्कृति की नींव है, परंतु यदि देश को समय के साथ बदलना है तो शिक्षा में भी उपयुक्त बदलाव करने होंगे एवं शिक्षा के लिए नए विकल्पों का चयन करते रहना होगा। 

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय समाज निर्माण के महत्वपूर्ण घटक होते हैं, किंतु शिक्षा सिर्फ विश्वविद्यालयों का ही दायित्व नहीं है बल्कि इसमें समाज की भी अहम भूमिका होनी चाहिए, अगर विश्वविद्यालय और समाज दोनों साथ मिलकर चले तो किसी भी विद्यार्थी के व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास कर सकते है। नई शिक्षा नीति के अंगीकरण भी विक्रम विश्वविद्यालय ने भी अपने पाठ्यक्रम में बदलाव करते हुए उन्हें प्रायोगिक बनाया है और कई नए पाठ्यक्रम भी खोले हैं जिनमें आधुनिक एवं नवीन विषय के पाठ्यक्रम का सुंदर समावेश है। उन्होंने उपस्थित सभी शिक्षाविदों से संगठित होकर शिक्षा के उत्थान की दिशा में कार्य करने की अपील की। 

इस अवसर पर कुलपति प्रो. पांडेय के साथ विक्रम विश्वविद्यालय के प्रो. डी डी बेदिया उपस्थित थे।

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