उज्जैन। जहां एक ओर आयुर्वेद एवं अन्य आयुष चिकत्सा सेवाओं को विश्व स्तर पर सराहा जा रहा है, हमारे देश में माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा आयुर्वेद को स्वदेशी चिकित्सा पद्धति के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के शासकीय आयुष महाविद्यालयों में स्वशासी शिक्षकों के साथ शासन द्वारा घोर उपेक्षा का व्यवहार किया जा रहा है । इनका वेतनमान प्रदेश के अन्य चिकित्सा शिक्षा जैसे पशु चिकित्सा, दंत चिकित्सा आदि महाविद्यालयों के शिक्षकों की तुलना में बहुत कम है।
ज्ञात रहे इन पशु एवं दंत आदि चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रोफेसर को पुनरीक्षित वेतनमान एवम अन्य भत्ते वर्ष 2013 से प्रदान किए जा रहे है। जबकि आयुष शिक्षकों के वेतनमान में कोई संशोधन नही किया है । अत्यंत विडंबना का विषय है कि देश के अन्य राज्यों जैसे बिहार, छत्तीसगढ़ जो मध्य प्रदेश की तुलना में छोटे एवम पिछड़े राज्य माने जाते हैं, वहां भी आयुष शिक्षकों का वेतनमान हमारे राज्य की तुलना में अधिक है। प्रदेश में आयुर्वेद,होम्योपैथ एवम यूनानी कुल 09 महाविद्यालयों में लगभग 250 शिक्षक कार्यरत हैं ।
आयुष शिक्षक कई वर्षो से वेतन में संशोधन की मांग कर रहे हैं । कई बार शासन को ज्ञापन दिए जाने के बावजूद शासन की ओर से इस विषय पर अभी तक गंभीरता से विचार नहीं किया गया है अतः प्रदेश के शासकीय आयुष महाविद्यालयों के शिक्षकों में गहरा असंतोष एवम हताशा का भाव है।
यदि शासन ने शीघ्र ही इस समस्या के निराकरण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो मजबूरीवश अपनी एक सूत्रीय मांग को लेकर मध्य प्रदेश के आयुष शिक्षकों के द्वारा आयुर्वेद टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले आगामी 28/07/23 से एक प्रदेशव्यापी चरणबद्ध विरोध प्रदर्शन किया जाएगा, जिसकी शुरुआत में आयुष शिक्षक सांकेतिक विरोध स्वरूप काली पट्टी बांधकर अपने कर्त्तव्य स्थलों पर कार्य कर एक बार फिर लंबे समय से विलंबित अपनी वेतन संशोधन की समस्या से शासन को अवगत कराने का प्रयास करेंगे।
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