Skip to main content

राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना को जाग्रत किया लोकमान्य तिलक और आजाद ने – प्रो शर्मा

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में लोकमान्य तिलक और चंद्रशेखर आजाद की भूमिका पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न


देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में लोकमान्य तिलक एवं चंद्रशेखर आजाद जयंती के उपलक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में लोकमान्य तिलक और चंद्रशेखर आजाद की भूमिका पर केंद्रित थी।  संगोष्ठी में सारस्वत अतिथि प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, विशिष्ट अतिथि श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, ऑस्लो, नॉर्वे, मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. शहाबुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र, कार्यकारी अध्यक्ष, नागरी लिपि परिषद, कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा, डॉ प्रभु चौधरी, डॉ सुनीता मंडल, कोलकाता आदि ने विचार व्यक्त किए। 

सारस्वत अतिथि प्रो. डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा,  हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक,  विक्रम विश्वविद्यालय,  उज्जैन ने कहा कि बाल गंगाधर तिलक ने अपने अखबारों, लेख और संपादकीयों के माध्यम से और चंद्रशेखर आजाद ने अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्रीय और सांस्कृतिक चेतना से लोगों को जोड़ा। उन्होंने अंग्रेजी शासन की दमनकारी नीतियों और भारतीय संस्कृति के प्रति जड़ दृष्टिकोण की कड़ी आलोचना की। चन्द्रशेखर आजाद का नाम भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के इतिहास में अमिट है। ऐसा पराक्रमी, सहज और निष्कलंक चरित्र वाला व्यक्तित्व इतिहास में कोई दूसरा दिखाई नहीं देता।

डॉ. शहाबुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख, पुणे ने अपना मंतव्य देते हुए कहा कि लोकमान्य तिलक और चंद्रशेखर आजाद में प्रेरणा दी है कि हमें राष्ट्र को सर्वस्व अर्पण करने की भावना रखनी चाहिए।

सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक,  नॉर्वे ने कहा कि दोनों ही महापुरुषों के विचारों से प्रभावित हो आज के युवा कई गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र के लिए अपना योगदान दे सकते हैं।

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने कहा कि बाल गंगाधर तिलक ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया। राष्ट्रीय संयुक्त सचिव शैली भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय महापुरुषों को सदैव अपने मार्गदर्शक मानने की आवश्यकता है।

डॉ प्रभु चौधरी, महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि बाल गंगाधर तिलक ने गणेश स्थापना द्वारा राष्ट्र जागरण कर अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने को प्रेरित किया।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ सुनीता मंडल, कोलकाता ने कहा चौबीस वर्ष की आयु में आजाद ने वो कर दिखाया जो युगों तक युगों तक लोग याद करेंगे। डॉ. शहनाज शेख,  नांदेड़ ने कहा कि मानवता की सेवा को ही ईश्वर सेवा मानते थे तिलक। अरुणा सराफ, प्रदेश महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना,  मध्य प्रदेश में कहा पशु -पक्षी भी आजादी से रहना चाहते हैं पर हमें कर्तव्यों का भी पालन करना चाहिए।

डॉ. रश्मि चौबे,  गाजियाबाद,  उपाध्यक्ष,  राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना,  महिला इकाई ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. रश्मि चौबे,  गाजियाबाद की सरस्वती वंदना से हुआ। अतिथि परिचय शैली भागवत,  राष्ट्रीय संयुक्त सचिव,  आभार डॉ प्रभु चौधरी ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में रमेश यादव, सोनू कुमार मिश्रा जर्नलिस्ट,  आशीष रंजन, बिहार, किरण अग्रवाल, प्रिया मायेकर आदि  अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar