राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की आभासी गोष्ठी में स्वतंत्रता सेनानियों को किया नमन
भारत माता के वीर सपूतों को देश लंबे समय तक मुगलों और अंग्रेजों का गुलाम रहा। आजादी दिलाने वाले देशभक्तों को देश सदैव नमन करता रहेगा। वीरों की गाथाओं को चारणों ,भाटों और साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं का मुख्य विषय बनाया। कवि श्रीकृष्ण सरल का तो सम्पूर्ण जीवन ही क्रांतिकारियों के लिए समर्पित रहा, उनकी रचनाएं क्रांतिकारियों की विजय गाथा लिखती रही है। महादेवी वर्मा हो या जयशंकर प्रसाद इन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता।
उक्त विचार राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन -साहित्य और संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में आयोजित व्याख्यान में राष्ट्रीय अध्यक्ष बृजकिशोर शर्मा ने मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। अध्यक्षता कर रहे पुणे के डा शहाबुद्दीन शेख ने कहा कि देश भक्ति की लहर ने ही हमें आजादी दिलाई है।देश भक्तों के जोश को सदा वंदन करता हूं।इन क्रांतिकारियों ने अपना तन मन धन सर्वस्व देश के लिए न्यौछावर कर दिया।प्रारंभ में सरस्वती वंदना डा संगीता पाल ने प्रस्तुत की। स्वागत उद्बोधन संगीता केसवानी ने दिया । विशिष्ट वक्ता श्री पद्मचंद गांधी ने आजादी का अधिकार एवं कर्तव्य बतलाया । अन्तरराष्ट्रीय कवि सुंदरलाल जोशी 'सूरज' नागदा की महाराणा प्रताप पर ओज पूर्ण रचना को सभी ने आशीष दिया।डा भावना शुक्ला दिल्ली, कृष्णा मणिश्री , रजनी प्रभा, ज्योति रानी लखनऊ,प्रभा कुमारी, शैली भागवत इंदौर, मीना परिहार,डा रश्मि चौबे गाजियाबाद ने अपनी रचनाओं में देशभक्ति के तराने गा कर स्वतंत्रता संग्राम के वीरों को वंदन किया। कार्यक्रम का रोचक संचालन श्वेता मिश्रा पुणे ने किया। अंत में आभार संचेतना के राष्ट्रीय महासचिव डा प्रभु चौधरी ने व्यक्त किया।
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