राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर आभासी काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया
जन-जन की भाषा हिंदी इस काव्य गोष्ठी में अंतर्राष्ट्रीय कवि श्री.सुंदरलाल जोशी सूरज ने काव्य पाठ करते हुए गाया-"प्रयोग हिंदी का करें , बड़े राष्ट्र की शान।"
अध्यक्षीय भाषण में डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद , राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, महिला इकाई ,राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा- हिंदी में जो बोला जाता है , वही लिखा जाता है और जो लिखा जाता है , वही पढ़ा जाता है। बच्चों को हिंदी बोलने और नागरी लिपि लिखने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
डॉ मुक्ति शर्मा कश्मीर ने गाया- दसवीं के बाद क्यों हिंदी सिमट जाती है। श्रेया ने कहा - सुंदरता को और बढाए हिंदी की वह बिंदी है। उषा श्रीवास्तव ने कहा- एक राष्ट्र की एक भाषा भागे दूर निराशा। प्रो अजित कुमार जैन ने गया -हिंदी से सब एक बनेंगे , एक से अनेक बनेंगे, अनेक फिर नेक बनेंगे । बबिता मिश्रा जी ने गया- हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है । मीना अग्रवाल , अमरोहा ने कहा- हिंदी से है हिंदुस्तान , रजनी प्रभा ने कहा- भारतवर्ष की अद्भुत गौरव गाथा को, जो विश्व में प्रसिद्ध करें वह हिंदी है। आर्यावर्ती सरोजा ने कहा - यह देश प्रेम स्पंदन है। सुषमा गर्ग दिल्ली ने कहा- तू ही है आज फिर गुंजित जगत के कोने कोने में। कृष्णा मणिश्री ने कहा- जिसमें मीठास हो आगरा के पेठे की जिसमें सोंधी खुशबू है मैसूर पाक की।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. संगीता पाल, कच्छ ,सचिव राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की सरस्वती वंदना से हुआ। डॉ .अरुणा शराफ , इंदौर ने स्वागत भाषण दिया। स्वागत गान कृष्णा मणिश्री, मैसूर ने गाया।प्रस्तावना डॉ.शशि त्यागी, अमरोहा ने प्रस्तावित की, आभार व्यक्त डॉ. प्रभु चौधरी , महासचिव , राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन ने किया और कार्यक्रम का सफल संचालन श्रीमती श्वेता मिश्रा पुणे ने किया।
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