उज्जैन। उज्जैन पुस्तक मेले की तीसरी सांस्कृतिक सांझ राजा गोपीचंद के माच से सराबोर रही। इस माच को मालीपुरा की राधाकिशन माच मण्डली द्वारा मंचित किया गया। वर्तमान में इसके संचालक हीरालाल परमार एवं पुरुषोत्तम परमार हैं। माच में राजा गोपीचंद धारा नगर का राजा होता है और अपनी मां के कहने भर से संन्यास को ग्रहण करतें हैं। गोपीचंद के संन्यास का कारण यह था कि गुरु जालंधरनाथ से भिक्षा देते समय यह शर्त रखी कि इस पुत्र के जन्म के 24 वें वर्ष के बाद समाज के कल्याणार्थ संन्यास लेना होगा। गोपीचंद माता एवं गुरु की आज्ञा मानकर अपनी सोलह सौ रानियां एवं राजपाल त्याग कर नाथ संप्रदाय में दीक्षित हो जातें हैं।
इस अवसर पर पुस्तक मेले के प्रांगण में माच कलाकारों द्वारा शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में एनबीटी नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर गोविंद प्रसाद शर्मा, मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी के संचालक श्री अशोक कड़ेल, वरिष्ठ साहित्यकार श्री नर्मदाप्रसाद उपाध्याय, श्री सूर्यकांत नागर, इंदौर कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा, रंगकर्मी श्री हफ़ीज खान सम्मिलित हुए।
कलाकारों को प्रमाण पत्र कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने वितरित किए। संचालन डॉ पांखुरी जोशी ने किया।
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