Skip to main content

प्राणिकी एवं जैव प्रोद्यौगिकी अध्ययनशाला में दिनांक 9 अक्टूबर को लर्न बाय अर्न स्कीम के अंतर्गत विज्ञान बाजार का आयोजन होगा

उज्जैन: विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की प्राणिकी एवं जैव प्रोद्यौगिकी अध्ययनशाला में दिनांक 9 अक्टूबर को लर्न बाय अर्न स्कीम के अंतर्गत विज्ञान बाजार का आयोजन किया जाएगा। विक्रम विश्वविद्यालय की प्राणिकी एवं जैव प्रोद्यौगिकी अध्ययनशाला में दिनांक 9 अक्टूबर 2023 को प्रातः काल 10 से सायंकाल 5 बजे तक यह महत्वपूर्ण आयोजन किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति की लर्न बाय अर्न स्कीम के अंतर्गत विज्ञान बाजार के आयोजन अनेक नवाचारों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस अवसर पर प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के विद्यार्थियों के अतिरिक्त विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययशालाओं के विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न साइंटिफिक मॉडल और विद्यार्थियों द्वारा स्व निर्मित हर्बल खाद्य पदार्थ, हर्बल कॉस्मेटिक्स, हर्बल बॉडी एवं रूम स्प्रे, हर्बल चाकलेट, हर्बल एडिबल बायोप्लास्टिक एवं विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री की बिक्री विद्यार्थियों द्वारा की जाएगी। 

इस अयोजन के सम्बंध में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि यह वर्ष भारत सरकार द्वारा "मिलेट्स ईयर" के रूप में घोषित है, और इसी उपलक्ष्य में विद्यार्थियों द्वारा इस विज्ञान बाजार में मिलिट्स से बने व्यंजन बेचे जाएंगे।  व्यंजन को और पौष्टिक बनाने के लिए उन्हें बनाने की विधि में कुछ रचनात्मक बदलाव किए गए हैं। माननीय कुलपति जी ने विद्यार्थियों को इस आयोजन पर बधाई देते हुए उन्हें सदैव कुछ न कुछ नया सोचते रहने के लिए प्रेरित किया। 

प्राणिकी एवं जैव प्रोद्यौगिकी अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ सलिल सिंह ने बताया कि इस अयोजन को लेकर विद्यार्थियों में विशेष उत्साह है, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस आयोजन में भाग लेने के इच्छुक अन्य अध्ययनशालाओं के विद्यार्थी विभाग में संपर्क कर सकते है।

 इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसाचिव श्री प्रज्वल खरे एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने विभागाध्यक्षों एवं शिक्षकों को बधाई देते हुए कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए मंगलकामनाएं दीं।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...