- महात्मा गांधी के नाम का मंत्र पराजित देशों में स्वाभिमान जागृति का काम कर गया - प्रो लोहनी
- विक्रम विश्वविद्यालय में गांधी जयंती पर राष्ट्रीय परिसंवाद एवं विशिष्ट व्याख्यान सम्पन्न
- महात्मा गांधी जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि और उनके प्रिय भजनों की प्रस्तुति हुई
- संचेतना समाचार के महात्मा गांधी और राष्ट्रभाषा हिन्दी विशेषांक का लोकार्पण हुआ
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में गांधी जयंती पर महात्मा गांधी की लोक व्याप्ति पर केंद्रित राष्ट्रीय परिसंवाद एवं विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन 2 अक्टूबर को प्रातः महाराजा जीवाजीराव पुस्तकालय परिसर में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर पुस्तकालय प्रांगण में गांधी जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय मेरठ के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने की। विशिष्ट अतिथि लोक मनीषी डॉक्टर पूरन सहगल, मनासा एवं शिक्षाविद श्री ब्रजकिशोर शर्मा थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी, मेरठ ने कहा कि दुनिया में महात्मा गांधी के नाम का मंत्र पराजित देशों में स्वाभिमान जागृति का काम कर गया। महात्मा गांधी ने जीवन मूल्यों को प्रसारित करने के पहले उन्हें अपने जीवन में आजमाया। वे जितने पारंपरिक थे, उससे अधिक आधुनिक। अहिंसा को उन्होंने सकारात्मक रूप में लिया। समग्र आंदोलन के नेतृत्व कर्ता के रूप में महात्मा गांधी एक विचार के साथ खड़े रहे। उनके जीवन मूल्यों के आधार पर दुनिया के अनेक देशों में लोकतंत्र स्थापित हुआ है। गांधी जी ने इस देश की सुप्त चेतना को जगाया था। असीम नैतिक शक्ति के कारण गांधी जी को सदैव याद किया जाएगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी की लोक व्याप्ति और प्रभाव देश और काल की सीमाओं से मुक्त है। आसेतुहिमालय उनके विचारों की अनुगूंज सभी अंचलों के लोक साहित्य में व्याप्त है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के क्षितिज पर उनके आगमन के साथ रचनाओं की विषयवस्तु, चरित्र और सन्देश बदलने लगे थे, जो आज भी असंख्य लोगों के जीवन में प्रेरणा का संचार कर रहे हैं। लोक मानस में आज भी गांधी जी बसे हुए हैं।
डॉक्टर पूरन सहगल, मनासा ने कहा कि महात्मा गांधी ने पहले देश और लोक मानस को जानने का प्रयास किया, फिर आजादी का आंदोलन छेड़ा। उन्होंने यह सिद्ध किया कि देश को अहिंसा के बल पर मुक्त करवाया जा सकता है। महात्मा गांधी लोक में उतर गए हैं। उन्होंने देशवासियों को भयमुक्त किया। उनके आंदोलन के केंद्र में चरखा था, जिसके माध्यम से उन्होंने देश के किसानों और आम नागरिकों को जगाया।
आयोजन में संचेतना समाचार के महात्मा गांधी और राष्ट्रभाषा हिन्दी विशेषांक का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। लोकार्पण पत्र के संपादक डॉ प्रभु चौधरी एवं संस्थाध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने करवाया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो नवीन चन्द्र लोहनी, मेरठ को अतिथियों द्वारा अंग वस्त्र, मौक्तिक माल, श्रीफल एवं पुस्तकें अर्पित कर उनका सारस्वत सम्मान किया गया।
विक्रम विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम सामाजिक न्याय विभाग, मध्यप्रदेश शासन के अंतर्गत कलापथक के कलाकारों द्वारा महात्मा गांधी के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेणे कहिए एवं रघुपति राघव राजाराम और नशा विरोधी गीत बीड़ी पीना छोड़ो शराब पीना छोड़ो की प्रस्तुति की गई। दल के कलाकारों में नरेंद्रसिंह कुशवाह, सुरेश कुमार, सुश्री अर्चना मिश्रा, सुनील फरण, अनिल धवन, आनंद मिश्रा शामिल थे।
कार्यक्रम में कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने उपस्थित जनों को नशा निषेध की शपथ दिलाई। स्वागत भाषण छात्र कल्याण विभाग के अधिष्ठाता प्रो सत्येंद्र किशोर मिश्र ने दिया।
अतिथि स्वागत गांधी अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, अधिष्ठाता, विद्यार्थी कल्याण प्रो सत्येंद्र किशोर मिश्रा, प्रो उमा शर्मा, प्रो अनिलकुमार जैन, प्रो अंजना पांडेय, प्रो सोनल सिंह, प्रो धर्मेंद्र मेहता, प्रो संदीप तिवारी, डॉ गणपत अहिरवार, डॉ राज बोरिया, डॉ राजेश्वर शास्त्री मुसलगांवकर, डॉ शैलेन्द्र भारल, डॉ क्षमाशील मिश्रा, डॉ सर्वेश्वर शर्मा, डॉ अजय शर्मा, श्री कमल जोशी आदि ने किया। कार्यक्रम में प्रो एच पी सिंह, प्रो हरिमोहन बुधौलिया, डॉ प्रभु चौधरी आदि सहित अनेक प्रबुद्धजनों और विद्यार्थियों ने भाग लिया।
परिसंवाद का संचालन हिंदी विभाग के आचार्य डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन पुस्तकाध्यक्ष प्रो अनिल कुमार जैन ने किया।
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