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अद्भुत वीरता, शक्ति और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक के रूप में सदैव अमर है महारानी लक्ष्मीबाई का नाम – प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर हुआ राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 

देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा रानी लक्ष्मीबाई जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। निर्भीक, वीरता, साहस की मूर्ति रानी लक्ष्मीबाई पर केंद्रित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि डॉ. अरुणा राजेन्द्र शुक्ला, नांदेड़, राष्ट्रीय संयोजक, विशेष वक्ता अरुणा सराफ इंदौर एवं डॉ प्रभु चौधरी थे। 

कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने अपने व्याख्यान में कहा कि भारतीय इतिहास में महारानी लक्ष्मीबाई का नाम अद्भुत वीरता, शक्ति और राष्ट्र भक्ति के प्रतीक के रूप में सदैव अजर - अमर हैं। उन्होंने अपमानित और सोए हुए देशवासियों को जगाने का कार्य किया था। वे बचपन से ही शास्त्र और शस्त्र ज्ञान में धनी थीं। उनके अमर बलिदान ने स्वतंत्रता संग्राम में अपार ऊर्जा का संचार किया।  उन्होंने अपना शरीर अंग्रेजों के हाथों नहीं आने दिया। उनके पराक्रम का लोहा ब्रिटिश इतिहासकारों ने भी माना है।

राष्ट्रीय संयोजक डॉ. अरुणा राजेन्द्र शुक्ला, नांदेड़ ने महारानी लक्ष्मीबाई के जीवन प्रसंगों को सुनाया। उन्होंने कहा कि महारानी लक्ष्मीबाई भारतीय स्त्री शक्ति की प्रतीक हैं। स्वतंत्रता की मशाल को जाग्रत कर उन्होंने अविस्मरणीय योगदान दिया। 

कार्यक्रम में विशेष वक्ता डॉ प्रभु चौधरी एवं अरुणा सराफ ने भी विचार व्यक्त किए।   

प्रारम्भ में सरस्वती वंदना डॉ. संगीता पाल राष्ट्रीय सचिव ने की। विषय प्रवर्तन एवं स्वागत भाषण डॉ प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव ने दिया। अध्यक्षता शिक्षाविद श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने की।

शशि त्यागी, अमरोहा ने महारानी लक्ष्मीबाई पर केंद्रित कविता का पाठ किया। उनकी कविता की पंक्तियां थीं, मणिकर्णिका, मोरोपंत - भागीरथी की संतान अकेली थी। कानपुर के नाना की मुँहबोली अलबेली बहन छबीली थी। शैशव से ही जिसके नयनों में, चम चम चपला चमक रही थी। मुख मंडल पर आभा प्रखर अरुण की, दम दम दमक रही थी, बचपन से ही खड्ग, कृपाण, कटारी उसकी बनी सहेली थी। देश भक्ति, साहस, शौर्य, पराक्रम की मूर्ति दुर्गा सी बनी नवेली थी। झांसी की रानी जब दहाड़ रही थी, अंग्रेजी सेना होकर निरीह निहार रही थी, समर क्षेत्र में जब गयी सिंहनी, गर्जना बम बम बम बम बोल रही थी, रुद्र देवता जय जय काली की हुंकारों से, जंघा अंग्रेजों कीं काँप रही थी। 

कार्यक्रम में कृष्णा मणिश्री मैसूर, उपमा आर्य लखनऊ, डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, अनीता गौतम, आगरा, डॉ. शहनाज शेख, नांदेड़ आदि उपस्थित थे। 

संचालन श्रीमती श्वेता मिश्रा, पुणे ने किया। आभार शशि त्यागी अमरोहा ने माना।

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