वैज्ञानिकता के निकष पर खरी उतरती है देवनागरी लिपि - प्रो शर्मा
जिन भाषाओं की लिपि नहीं है, उनकी लिपि देवनागरी हो - डॉ.पाल
देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना एवं नागरी लिपि परिषद् दिल्ली के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका विषय देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता था। कार्यक्रम में लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का स्मरण किया गया।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि वैज्ञानिकता के निकष पर देवनागरी लिपि खरी उतरती है। सदियों से यह लिपि इस देश की अनेक भाषा और बोलियों की स्वाभाविक लिपि बनी हुई है। दुनिया में प्रचलित अन्य लिपियों से देवनागरी की तुलना करने पर स्पष्ट हो जाता है कि यह लिपि सबसे विलक्षण ही नहीं, पूर्णता के निकट है। लिपि के आविष्कारकों की आकांक्षा रही है कि किसी भी भाषा की विभिन्न ध्वनियों के साथ अक्षरों का सुमेल हो, उसमें कोई त्रुटि न हो इस दृष्टि से देवनागरी लिपि अधिक वैज्ञानिक और युक्तिसंगत है। राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने के लिए देवनागरी लिपि की आवश्यकता है। लौह पुरुष सरदार पटेल के अंतःकरण में त्याग और सेवा की भावना थी।
डॉ. हरिसिंह पाल , महामंत्री, नागरी लिपि परिषद्, दिल्ली ने मुख्य वक्ता के रूप में अपना मंतव्य देते हुए कहा कि लिपिविहीन भाषाओं को देवनागरी लिपि के माध्यम से लिखकर उनका संरक्षण और संवर्धन करना चाहिए।
डॉ.शहाबुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र,कार्यकारी अध्यक्ष नागरी लिपि परिषद् ने कहा नागरी लिपि में जो बोलते हैं वैसा ही लिखते हैं और जो लिखते हैं वैसा ही पढ़ते हैं।
श्री बी के शर्मा, अध्यक्ष ,पूर्व वरिष्ठ शिक्षा अधिकारी ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति को स्टैचू ऑफ यूनिटी कहा जाता है। हमारे ग्रंथों में बीज मंत्र हैं उनको आकृति और ध्वनियों के अनुसार अध्ययन नागरी लिपि परिषद् द्वारा किया जाना चाहिए।
डॉ.प्रभु चौधरी महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल एक महान देशभक्त जननायक थे।
डॉ. मुक्त कान्हा कौशिक , राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि स्वतंत्र राष्ट्र को एकीकरण करने में पटेल जी ने उत्तम भूमिका निभाई।
डॉ. रश्मि चौबे , कार्यकारी अध्यक्ष महिला इकाई ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. संगीता पाल , राष्ट्रीय महासचिव , गुजरात की सरस्वती वंदना से हुई। स्वागत भाषण डॉ .अशोक कुमार भार्गव, आई ए एस, भोपाल ने दिया। प्रस्तावना डॉ. शहनाज शेख, राष्ट्रीय उप महासचिव, नांदेड़, महाराष्ट्र प्रस्तावित की और आभार व्यक्त डॉ. अरुणा शुक्ला ने किया। कार्यक्रम में डॉ. सुनीता मंडल, सोनू जी, शशि त्यागी, आशीष रंजन, ज्योति तिवारी, इंदौर, सीमा श्रीवास्तव आदि सहित अनेक संस्कृतिकर्मी, साहित्यकार एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे।
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