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उज्जैन में उच्च शिक्षा के बढ़ते चरण, 2024 में नई संभावनाओं के खुलेंगे द्वार


नेतृत्व गुणों, अनुसंधान संस्कृति और नवीन कौशल को बढ़ावा देने के साथ युवा मानव संसाधनों के विकास और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की राह पर उच्च शिक्षा के नए चरण

उज्जैन। उच्च शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के लिए विगत दशकों से उज्जैन एक महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है। हाल के दौर में इस नगर ही नहीं, वरन संपूर्ण संभाग में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। इतिहास प्रसिद्ध सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर 1956 में उज्जैन में स्थापित विक्रम विश्वविद्यालय का एक गौरवशाली अतीत, प्रगतिशील वर्तमान और उज्ज्वल भविष्य है। राज्य के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक होने के नाते, इसने अपना एक ऐसा रूप गढ़ा है जो प्राचीन काल से ही इसकी मिट्टी से जुड़ा रहा है। हाल के वर्षों में विक्रम विश्वविद्यालय अपने नेतृत्व गुणों, अनुसंधान संस्कृति और नवीन कौशल को बढ़ावा देते हुए नैतिक मूल्यों के साथ युवा मानव संसाधनों को विकसित करके गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की राह पर है। 

मध्य प्रदेश के माननीय यशस्वी मुख्यमंत्री  डॉ मोहन यादव (तत्कालीन मंत्री, उच्च शिक्षा) के व्यापक प्रयासों से बीते वर्ष में विश्वविद्यालय द्वारा कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गईं, जिनमें प्रमुख हैं विश्वविद्यालय का अधोसंरचनात्मक विकास,  समकालीन प्रासंगिक पाठ्यक्रमों के विकास पर ध्यान देना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सफल कार्यान्वयन आदि। हाल के दौर में इस विश्वविद्यालय ने नए प्रतिमान स्थापित किए हैं।  विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन विकास के नए सोपानों पर निरंतर गतिशील है। माननीय मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी द्वारा उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में की गई नवीन संकल्पनाओं और  कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय के प्रयासों से  विश्वविद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र के उच्चतम शिखर को छुआ है। विश्वविद्यालय में सम्पूर्ण विकास के साथ-साथ शैक्षिक गुणवत्ता-वृद्धि के लिए भी सभी दिशाओं में यह विश्वविद्यालय गतिशील रहा है। 

नए वर्ष में विश्वविद्यालय में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए व्यापक प्रयास किए जाएंगे। कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने बताया कि इस दिशा में मेडिकल शिक्षा से जुड़े निकायों के पदाधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ शीघ्र ही बैठक आयोजित की जाएगी। विश्वविद्यालय को देश के टॉप 100 विश्वविद्यालयों में स्थान दिलाने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाते हुए कारगर प्रयत्न किए जाएंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन को गति देने के लिए आगामी 2 और 3 फरवरी को राष्ट्रीय कार्यशाला एवं परिसंवाद आयोजित किया जाएगा, जिसमें उत्तर भारत के प्रमुख राज्यों के लगभग तीन सौ कुलपति एवं शिक्षाविद् सम्मिलित होंगे। आगामी वर्ष में शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति के साथ नैक की रैंकिंग में बेहतरी के लिए प्रयास किए जाएंगे। 

विगत कुछ वर्षों में नई संकल्पनाओं से नवीन संकायों और पाठ्यक्रमों की संरचना के साथ विश्वविद्यालय में प्रवेश में व्यापक अभिवृद्धि हुई है। कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने बताया कि वर्ष 2023 में अर्जित की गईं  अनेक उपलब्धियों में प्रमुख हैं।

(1) मध्यप्रदेश के तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री एवं वर्तमान में प्रदेश के माननीय यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी की संकल्पना से सोलह करोड़ की लागत से कृषि अध्ययनशाला के नवीन भवन और चौदह करोड़ की लागत से स्मार्ट सिटी उज्जैन द्वारा पुरातत्व संग्रहालय के उन्नयन कार्य तेजी से जारी है, जो जल्द ही साकार होंगे। 

(2) विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा अपने संसाधनों से बजट में वर्कशॉप, सेमिनार के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। 

(3) विधि, कृषि, शारीरिक शिक्षा,  फोरेंसिक साइंस, फ़ूड टेक्नोलॉजी, इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ प्रोफेशनल स्टडीज एवं भारत अध्ययन केंद्र की नवीन अध्ययनशालाएँ  स्थापित की गईं।

  

(4) विश्वविद्यालय में 280  से अधिक यूजी, पीजी, सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा पाठ्यक्रम  प्रारम्भ किये गये हैं।  इस क्षेत्र में प्रवेशरत विद्यार्थियों को उद्योग की विशेष ट्रेनिंग भी विद्यार्थियों को दी गई।

(5) अध्यापन से लेकर परीक्षा परिणामों तक यह विश्वविद्यालय पूरे प्रदेश में अग्रगण्य बना रहा।

 (6) विश्वविद्यालय के कई शिक्षकों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। 

(7) विश्वविद्यालय के अनेक विद्यार्थियों ने क्रीड़ा, एनसीसी, एनएसएस एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण योगदान के लिए अवार्ड अर्जित किए हैं।  

(8) विश्वविद्यालय परिसर मे जैव विविधता के अध्ययन औऱ को बढ़ाने हेतु क्यू. आर. कोड के साथ-साथ निरंतर पौधारोपण किया गया है। 

(9) सांस्कृतिक वन का निर्माण किया जा रहा है। इसी वर्ष वन विभाग के अतिरिक्त कई महत्पूर्ण संस्थाओ जैसे   जूलॉजिकल सर्व ऑफ इंडिया के साथ साथ 50 से अधिक एम ओ यू किए गए।

(10) सत्र 2020-2021 में 3265 से अधिक नवीन प्रवेश, सत्र 2021-2022 में 4156 से अधिक प्रवेश, और इस सत्र में अभी तक 5500 मप्र ऑनलाइन एवं सात लाख  सी यू टी के माध्यम से आवेदन आए, जिनमें से 4200 से अधिक ने प्रक्रिया पूर्ण कर ली है। कुल 9500  विद्यार्थिओं की संख्या हो गई हैंl

(11) बी कॉम, बी फार्मा, बीटेक,  बायोटेक, एग्रीकल्चर, फार्मा विषयों सहित कई विषयों में सभी सीटें फुल हो गई हैं। 

(12) शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के सहयोग से 20 से अधिक महत्वपूर्ण उत्पाद विकसित किए गए हैं, 40 से अधिक स्टार्ट अप प्रारम्भ किए जा चुके हैं तथा 25 से अधिक पेटेन्ट कराए गए हैं। 

(13) उद्यमिता को बढावा देने हेतु विश्वविद्यालय द्वारा इस वर्ष विज्ञान मेले का आयोजन किया गया, जिसमें  विद्यार्थियों द्वारा स्वनिर्मित उत्पाद जैसे हर्बल बायो प्लास्टिक, चॉकलेट, खाद, हर्बल साबुन आदि का निर्माण किया गया।

(14) 2023 में तत्कालीन माननीय उच्च शिक्षा मंत्री एवं वर्तमान में यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा बायोटेक्नोलॉजी विभाग के 2 - 2 विद्यार्थियों को अपने स्टार्ट अप के लिए पचास - पचास हजार रुपए सीड मनी प्रदान किए गए हैं। 

(15) रूसा के अंतर्गत तीन सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस  में से एक की स्वीकृति एवं साढ़े तीन करोड़ की राशि पुरातत्व विभाग को प्राप्त हो चुकी हैं।

(16) शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के सहयोग से विदेशी भाषा विभाग में फ्रेंच, जर्मन भाषा के अध्यापन तथा क्षेत्रीय बोलियों में मालवी, निमाड़ी, भीली, गोंडी पर व्यापक शोध, संरक्षण एवं संवर्धन के प्रयास किये जा रहे हैं। 

(17) मालवी बोली को पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित किया गया है। रोजगार मेले का आयोजन, विद्यार्थी समस्या के निराकरण हेतु विशेष  संवाद, परीक्षा समस्या हेतु विशेष शिविर, विद्यार्थियों के लिए डिजिलॉकर की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।  

(18) विश्वविद्यालय की विभिन्न  अध्ययनशालाओं द्वारा अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन निरन्तर किया जा रहा है। स्वास्थ्य  परीक्षण शिविर, नशामुक्ति अभियान, चाइना डोर के इस्तेमाल के विरुद्ध का जनजागरण अभियान, ऊर्जा संरक्षण, गांवों को गोद लेना जैसी गतिविधियां की गईं।

(19) वन विभाग एवं वृक्ष मित्र संस्थान के सहयोग से विश्वविद्यालय परिसर में 8000 से अधिक पौधों का रोपण एवं सुरक्षा हेतु आवश्यक फेंसिग लगाने का कार्य किया गया है। 

(20) विश्वविद्यालय द्वारा गाजर घास उन्मूलन सप्ताह का आयोजन 16-22 अगस्त 2023 तक किया गया। 

(21) विश्वविद्यालय द्वारा इन्क्यूबेशन सेंटर के माध्यम से रोजगार एवं कौशल संवर्द्धन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास प्रारम्भ कर दिये गये हैं।

(22) विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं एवं परिसर में सुनियोजित ढंग से वृक्षारोपण एवं संरक्षण का कार्य किया जा रहा है। इसमें जन सहयोग भी प्राप्त हो रहा है। इस प्रकार विश्वविद्यालय विकास के पथ पर निरंतर अग्रसर है।

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