उज्जैन। गीता जयन्ती महोत्सव के उपलक्ष्य में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के शलाका दीर्घा सभागार में विशिष्ट जनों की उपस्थिति में गीता जयन्ती के पूर्व में साप्ताहिक महोत्सव के रूप में मनाया गया।
गीता पर विद्वानों का उद्बोधन एवं गीता प्रतियोगिता आयोजित हुई।योगकेन्द्र, दर्शनशास्त्र अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन आर्यावर्त सिद्धान्त संरक्षक न्यास, वाराणसी, महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, एवं महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या, उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में युवाओं को गीता ज्ञान से जोड़ने तथा समाज को गीतागत सिद्धान्तों को आत्मसात कराने हेतु यह गीता जयन्ती के पूर्व महत्वपूर्ण विद्वतसंगोष्ठी कार्यक्रम आयोजित हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय ने किया तथा इस कार्य की अत्यंत प्रशंसनीय बताते हुए गीता के प्रति युवाओं को प्रेरित किया।
सारस्वत अतिथि के रूप में महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.विजय कुमार मेनन सी.जी. ने कहा कि गीता केवल रिटायरमेंट के बाद समय व्यतीत करने का ग्रन्थ नहीं है क्योंकि गीता का उपदेश श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन जैसे महान् योद्धा को तब दिया गया था जब वह द्वन्द्वात्मकता से ग्रसित था। वस्तुत: युवावस्था में किंकर्तव्यविमूढ़ावस्था का प्रभुत्व ज्यादा रहता है अतः इस समय सही मार्गदर्शन अत्यावश्यक होता है। गीता द्वारा ही यह सम्भव है।
मुख्य वक्ता स्वामी असंगानन्द जी महाराज ने गीता के सम्पूर्ण अध्यायों में कथित विषय पर संक्षेप में गीता की समाजपरक उपादेयता को बताया। मुख्य अतिथि के रूप में उज्जैन के संघ चालक श्री योगेश भार्गव, विशिष्ट अतिथि के रूप में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो.शैलेन्द्र कुमार शर्मा सहित उज्जैन के विशिष्ट लोगों की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का संयोजन डॉ.सत्येन्द्र किशोर मिश्र एवं योगाचार्य रितेश दुबे के अथक प्रयास से सम्पन्न हुई। कार्यक्रम में सह-संयोजक के रूप में सुषमा यादव तथा डॉ.बिन्दु सिंह पंवार का सहयोग रहा। प्रतियोगिता में महर्षि सान्दीपनि से कान्हा पाण्डेय, आदर्श तिवारी एवं आशुतोष तिवारी ने प्रथमादि स्थान प्राप्त किया।
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