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विलक्षण प्रतिभा के धनी स्वाधीनता सेनानी महामना मालवीय जी और ओजस्वी कवि, महान दार्शनिक साहित्यकार अटलबिहारी वाजपेयी जी का स्मरण किया गया

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा राष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी सम्पन्न

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी एवं शिक्षाविद् भारतरत्न महामना पं. मदन मोहन मालवीय एवं पूर्व प्रधानमंत्री यशस्वी कवि श्री अटलबिहारी वाजपेयी की जयंती पर दिनाक 25 दिसम्बर को आभासी संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस संगोष्ठी के अध्यक्ष पदमचंद गांधी राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय संयोजक जयपुर रहे।

मुख्य अतिथि डॉ शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे एवं मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा थे। 

मुख्य वक्ता डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने दोनों महान विभूतियों के योगदान पर अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि दोनों ही अखंड राष्ट्रीयता के पक्षधर थे। दोनों को किसी भी प्रकार से देश का अलगाव और  विभाजन मंजूर नहीं था। दोनों राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत थे। राष्ट्रभक्ति ही सच्ची ईश्वर आराधना है। अटलजी के शब्दों में भारत जमीन का टुकडा नहीं वह एक जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।

मुख्य अतिथि डॉ. शेख शहाबुद्दीन पुणे ने अपने प्रमुख वक्तव्य में भीष्म पितामह श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी के कृतित्व और व्यक्तित्व के बारे में बताते हुए कहा कि अटलजी के ओजस्वी, रसपूर्ण वाणी से हिंदी में भाषण सुनकर मैं विद्यार्थी से प्राध्यापक बना। यह उन्हीं के वाणी औज वक्तव्य का प्रभाव है। अटलजी एक विशाल हृदयी और सर्वसमावेशक व्यक्ति थे। उनमें शालीनता, मर्यादा सभ्यता के कारण वे विरोधियों को भी प्रिय थे। भावप्रबल कवि के साथ समाज प्रबोधन कवि थे। मदन मोहन मालवीय जी ने हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने सत्यमेव जयते को लोकप्रिय बनाया।

विशिष्ट वक्ता डॉ. शेख शहेनाज उप महासचिव नांदेड़ ने अटल बिहारी वाजपेयी जी के कविता को अपने जीवन में उतारने की बात कही। उन्होंने कहा कि अटलजी की कविताएं मानव को नकारात्मकता से निकालकर सकारात्मकता की ओर ले जाती है।

राष्ट्रीय मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सुवर्णा जाधव ने अपने वक्तव्य में कहा कि कवि अटल बिहारी वाजपेयी जी एक कुशल राजकीय नेता औश्र महान विभूतियों के धनी होने के साथ-साथ एक उच्च साहित्यकार थे। उन्होंने साहित्य पर राजकीय प्रभाव कभी नहीं आने दिया। 

संगोष्ठी की शुरूआत में सरस्वती वंदना डॉ. अरूणा सराफ प्रदेश महासचिव इन्दौर ने की। इस कार्यक्रम में प्रस्तावना शिक्षाविद डॉ. अनसूया अग्रवाल महासमुंद ने प्रस्तुत की। उन्होंने अपनी प्रस्तावना में कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी एक अनुपम प्रतिभा के धनी, साहित्यकार और विवेकशील  राजनीतिज्ञ थे।

संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि ब्रजकिशोर शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष शिक्षक संचेतना, डॉ. शिवा लोहारिया जयपुर राष्ट्रीय अध्यक्ष महिला इकाई, डॉ. मुक्ति शर्मा श्रीनगर, डॉ. रश्मि चौबे गाजियाबाद ने भी भागीदारी की।

कार्यक्रम का संचालन श्वेता मिश्रा राष्ट्रीय सचिव पुणे ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी और स्वागत भाषण एवं अतिथि परिचय दिया। संगोष्ठी की मंगल मूर्ति श्री पदम चन्द गांधी ने अध्यक्षीय भाषण में अपने जन्म दिवस पर आयोजित समारोह के लिये आभार जताया। समारोह के अंत में आभार डॉ. सुवर्णा जाधव पुणे ने व्यक्त किया।

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