Skip to main content

साहित्य लोकमंगल का वाहक - प्रो.संजय द्विवेदी

पांच रचनाकारों को प्रदान किया गया डाॅ. तिवारी स्मृति सम्मान

🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया, वरिष्ठ पत्रकार 🙏

इंदौर। लोकमंगल का वाहक बनकर उभरा है साहित्य। आज का समय विचारों की घर वापसी का समय है। विचारों की यह घर वापसी भारतीयता की ओर वापसी है। हम पश्चिम के नहीं अपने विचारों को अपनाकर आगे बढ़ सकते हैं। बहुभाषीय होना हम भारतीयों की ताकत है।

यह बात भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने कही। वे रविवार, 25 दिसम्बर, 2023 की दोपहर वरिष्ठ शिक्षक और लेखक डाॅ. एस. एन. तिवारी  स्मृति साहित्य सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। समारोह में पांच रचनाकारों को सम्मानित किया गया। 

इंदौर प्रेस क्लब के राजेंद्र माथुर सभागृह में आयोजित समारोह की अध्यक्षता साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश के निदेशक डाॅ. विकास दवे ने की। उन्होंने कहा कि, वर्तमान युग साहित्य और पत्रकारिता के समन्वय का स्वर्णिम युग है। ऐसे साहित्यिक आयोजनों से भाषा और साहित्य की पुरानी गरिमा लौटाने में मदद मिलती है। विशेष अतिथि इंदौर प्रेस क्लब अध्यक्ष श्री अरविन्द तिवारी ने इंदौर में बढ़ती साहित्यिक गतिविधियों पर प्रसन्नता जाहिर की। 

स्वागत भाषण श्रीमती सुषमा दुबे ने और संस्था व अतिथि परिचय मुकेश तिवारी ने दिया। अतिथियों का स्वागत श्री दिनेश शुक्ला, डाॅ.सोनाली सिंह और डाॅ. दीपा व्यास ने किया।  संचालन प्रथमेश व्यास ने किया। आभार देवेंद्र सिंह सिसौदिया ने माना।

इन रचनाकारों का हुआ सम्मान

समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. पद्मा सिंह, श्री प्रभु त्रिवेदी को विशिष्ट साहित्यिक योगदान सम्मान, डाॅ. गरिमा संजय दुबे को विधा आधारित सम्मान, श्रीमती माधुरी व्यास को कृति आधारित सम्मान और श्री हर्षवर्धन प्रकाश को प्रतिभावान युवा रचनाकार सम्मान प्रदान किया गया। इस मौके पर साहित्य, शिक्षा और पत्रकारिता जगत के अनेक प्रमुख हस्ताक्षरों सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।

✍ राधेश्याम चौऋषिया 

Radheshyam Chourasiya

Radheshyam Chourasiya II

● सम्पादक, बेख़बरों की खबर
● राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार, जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश शासन
● राज्य मीडिया प्रभारी, भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक निर्णायक
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक मालव क्रान्ति

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

"बेख़बरों की खबर" फेसबुक पेज...👇

Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर

"बेख़बरों की खबर" न्यूज़ पोर्टल/वेबसाइट... 👇

https://www.bkknews.page

"बेख़बरों की खबर" ई-मैगजीन पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें...👇https://www.readwhere.com/publi.../6480/Bekhabaron-Ki-Khabar

🚩🚩🚩🚩 आभार, धन्यवाद, सादर प्रणाम। 🚩🚩🚩🚩

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...