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राष्ट्रीय मतदाता दिवस: 25 जनवरी । मजबूत लोकतंत्र और विकसित भारत का सपना पूरा करने में अपना बहुमूल्य मत दे कर देश की प्रगति में सहायक हो सकते हैं देश के नागरिक - कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पाण्डेय, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन

उज्जैन। लोकतन्त्र में मतदान के प्रति जागरूकता और अधिक से अधिक युवा मतदाताओं को राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से  भारत सरकार ने हर साल 25 जनवरी को "राष्ट्रीय मतदाता दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इसे भारत के चुनाव आयोग के स्थापना दिवस को चिह्नित करने के लिए 25 जनवरी 2011 से शुरू किया गया है। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि यह उल्लेखनीय है कि  राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य भारतीय राजनीतिक प्रक्रिया और चुनावी प्रक्रिया में नए और मतदाता सूची में युवा मतदाताओं की भागीदारी को बढ़ाना है, वहीं नए मतदाताओं की संख्या बढ़ाकर मतदान के अधिकार के महत्व के बारे में मतदाताओं को जागरूक करना है।

माननीय कुलपति प्रो पांडेय ने विद्यार्थियों को जागरूक करते हुए कहा कि भारतीय संविधान के अनुसार, भारत के 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के प्रत्येक नागरिक को धर्म, जाति, रंग, नस्ल या लिंग आदि किसी भी भेदभाव के बिना मतदान करने का अधिकार दिया गया है। यह भारतीय लोकतंत्र की सुंदरता है। भारतीय संविधान में 61वें संशोधन द्वारा अधिक युवा मतदाताओं को भारतीय लोकतंत्र का हिस्सा बनाने के लिए मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई, और इसीलिए युवाओं का यह दायित्व है कि वे मतदान में सहभागी बनें, और देश की प्रगति में अपना अहम योगदान दें।

उन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से अपील की और कहा कि वे स्वयं भी मताधिकार का प्रयोग करे और लोगों के बीच भी इसे लेकर जागरूकता फैलाएं।

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