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बेंगलुरु में होगा अखिल भारतीय कला साधक संगम

उज्जैन। संस्कार भारती द्वारा चार दिवसीय अखिल भारतीय कला साधक संगम दिनांक 1 फरवरी 2024 से 4 फरवरी 2024 तक का आयोजन आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर बेंगलुरु में आयोजित किया जा रहा है। जिसमें देश भर के 2500 से अधिक कलाकार व प्रतिनिधि भाग लेंगे। कला साधक संगम का उदघाटन दिनांक 01 फरवरी को मेसुर के महाराजा श्री यदुवीरा कृष्णदत्ता चामराजा वाडियार के मुख्य आतिथ्य में होगा, इस अवसर पर पद्मश्री मंजम्मा जोगथी प्रख्यात लोक कला गायक, डॉ श्री विक्रम संपथ इतिहासविद, लेखक एवं रायल हिस्टोरिकल सोसाइटी के फैलो सदस्य, पंडित श्री रवीद्र यवागल विख्यात तबला वादक एवं विजयनगर साम्राज्य के वंशज कृष्णदेवराया अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे।

कला साधक संगम में होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी देते हुवे प्रांतीय प्रचार प्रमुख श्री गोपाल महाकाल ने बताया कि, सम्पूर्ण कार्यक्रम चार दिवसीय होने वाला है जिसमें प्रथम दिवस 01 फरवरी को नॉर्थ ईस्ट लोकनृत्य का कार्यक्रम होगा। दूसरे दिन सुबह सामाजिक समरसता का कला व साहित्य में योगदान विषय पर सेमिनार का आयोजन होगा। दोपहर को सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा जिसमें संस्कार भारती मालवा प्रांत की और से सामाजिक समरसता पर आधारिक नाटक “हिंदवा सहोदरा” का मंचन सुंदर माच सांस्कृतिक समिति उज्जैन द्वारा श्री सुंदरलाल मालवीय के निर्देशन में किया जावेगा। इस नाटक का चयन अखिल भारतीय स्तर पर होना उज्जैन के लिए गौरव की बात है। दिनांक 3 फरवरी को भरतमुनी सम्मान समारोह में देश भर से चयनित विभिन्न विधाओं के कलाकारों को सम्मानित किया जावेगा। पंचम वेद के नाम से प्रसिद्ध नाट्यशास्त्र के रचयिता महर्षि भारत मुनि को समर्पित 1 लाख 51 हजार रुपये का भारत मुनि सम्मान इस बार दृश कला क्षेत्र के मुंबई के चित्रकार श्री विजय दशरथ आचरेकर और लोक कला के क्षेत्र में सिंधु दुर्ग के श्री गनपट सखाराम मसगे को दिया जा रहा है । सम्मान राशि के साथ उन्हें स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया जा रहा है। शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा जिसमें डॉ हरिहरेश्वर पोतदार द्वारा नृत्य प्रस्तुत किया जावेगा। कला साधक संगम के अंतिम दिवस सामाजिक समरसता पर आधारित एक यात्रा निकाली जावेगी जिसमें विभिन्न राज्यों के कलाकार अपने अपने क्षेत्र की संस्कृति को दर्शाते हुवे सम्मिलित होंगे, मालवा प्रांत उज्जैन से महाकाल की शाही सवारी का प्रस्तुतीकरण किया जावेगा। 

कार्यक्रम स्थल पर विशाल कला प्रदर्शिनी भी लगाई जावेगी जिसमें पेंटिंग, फोटोग्राफी, केलिग्राफी एवं रांगोली को विशेष रूप से प्रदर्शित किया जावेगा। कलासाधक संगम भारतीय कला दृष्टि में विश्वास रखने वाले कलासाधकों का एक समागम है जो प्रायः 3 साल के अंतराल पर देश के अलग-अलग स्थान पर आयोजित होता है। इसमें विभिन्न कलाविधाओं की मंचीय प्रस्तुतियां व बौद्धिक संवाद-विमर्श के कार्य होते हैं जिसके माध्यम से कार्यकर्ता, कलासाधक, कलारसिक व आमजन भारतीय कला दृष्टि के प्रति अपनी सोच विकसित करते हैं और साहित्य-कला-संस्कृति के माध्यम से मातृभू आराधना में संलग्न होते हैं। इस बार के कलासाधक संगम में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए साहित्यकार व कलाकार कला और साहित्य के माध्यम से समरसता विषय के अंतर्गत आने वाले विभिन्न पहलुओं पर संदेश देंगे। इस निमित्त अलग-अलग सत्रों में सेमिनार, मंचीय प्रस्तुतियों व प्रदर्शनियों की सहायता ली जाएगी। पेंटिंग, फोटोग्राफी, कैलीग्राफी व रंगोली की प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी। नॉर्थ ईस्ट के कलासाधक सामूहिक नृत्य प्रस्तुति देंगे। धार्मिक-सामाजिक आख्यान, नृत्य, गायन, वादन की भी प्रस्तुतियां होंगी। 4 दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन में कलाओं के संरक्षण-संवर्धन के लिए विख्यात मैसूर राजवंश के राजा यदुवीर वाडियार, विजयनगर साम्राज्य के वंशज कृष्णदेवराय उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर प्रख्यात लोक कलाकार पद्मश्री मंजम्मा जोगती, वरिष्ठ तबला वादक रविंद्र यावगल व इतिहासकार डॉ. विक्रम संपत भी उपस्थित रहेंगे।

कार्यक्रम में 3 व 4 फरवरी को सरसंघचालक मोहन भागवत की भी उपस्थिति रहेगी। वे भरतमुनि सम्मान समारोह में दृश्यकला व लोककला के दो ख्यातिनाम कलासाधकों को सम्मानित करेंगे। आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर के आशीर्वचन व मोहन भागवत के समापन उद्बोधन के साथ 4 दिवसीय कार्यक्रम पूर्ण होंगे। उज्जैन से इस अखिल भारतीय कला साधक संगम मे भाग लेने के लिए 50 से अधिक कला साधक जिसमें प्रमुख रूप से श्रीपाद जोशी, संजय शर्मा, योगेंद्र पिपलोनिया, सुंदरलाल मालवीय, प्रकाश देशमुख, पंकज आचार्य, गोपाल महाकाल, चन्द्र्सेखर गुर्जर, रामचन्द्र गांगोलिया, रितेश पवार, विशाल कलंबकर, नन्दन चावडा अपने साथियों सहित बेंगलुरु के लिए प्रस्थान कर रहे है।

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