विक्रम विश्वविद्यालय में गांधी जी की पुण्यतिथि पर रामराज्य की अवधारणा और महात्मा गांधी पर विशिष्ट परिसंवाद और व्याख्यान हुआ
- राष्ट्र जीवन और पवित्र जीवन कैसा होना चाहिए, यह प्रतिबिंबित होता है राम राज्य में – कुलपति प्रो मेनन
- नशे से नई पीढ़ी को पूरी तरह से मुक्त करने की जरूरत है – कुलपति प्रो पांडेय
- विक्रम विश्वविद्यालय में गांधी जी की पुण्यतिथि पर रामराज्य की अवधारणा और महात्मा गांधी पर विशिष्ट परिसंवाद और व्याख्यान हुआ
- शहीद दिवस पर मौन धारण कर दी गई स्वतन्त्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि, गांधी जी की प्रतिमा पर की गई पुष्पांजलि और कला पथक दल द्वारा भजनों की प्रस्तुति हुई
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में गांधी जी की पुण्यतिथि पर रामराज्य की अवधारणा और महात्मा गांधी पर केंद्रित विशिष्ट परिसंवाद और व्याख्यान का आयोजन 30 जनवरी 2024 मंगलवार की प्रातः महाराजा जीवाजीराव पुस्तकालय परिसर में सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सी जी विजयकुमार मेनन थे। अध्यक्षता कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। विषय प्रवर्तन विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक एवं निदेशक, गांधी अध्ययन केंद्र प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने किया। प्राध्यापक डॉ पूजा उपाध्याय ने रामराज्य पर केंद्रित काव्य पाठ किया।
मुख्य अतिथि महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सी जी विजयकुमार मेनन ने कहा कि भारत सदियों से त्याग भूमि है। समाज में एकसूत्रता लाने के लिए एक नाम, एक तत्व जरूरी है, जो प्रबल हो। इसी दृष्टि से महात्मा गांधी ने श्री राम के राज्य को आदर्श राज्य के रूप में महत्वपूर्ण स्थान दिया है। राष्ट्र जीवन और पवित्र जीवन कैसा होना चाहिए, यह राम राज्य में प्रतिबिंबित होता है। महात्मा गांधी की अवधारणा है कि नर सेवा, नारायण सेवा है। उन्होंने चार आधारों पर रामराज्य की अवधारणा दी जिसमें ग्राम विकास, अहिंसा, अधिकार और कर्तव्य का समावेश है। रामराज्य समत्वमूलक राष्ट्र बनाने की संकल्पना है। भय से मुक्ति और समरसता के साकार होने से ही राम राज्य अस्तित्व में आ सकता है। अयोध्या से तात्पर्य है जहां किसी भी प्रकार का युद्ध न हो। महात्मा गांधी का रामराज्य स्वराज है, वह आत्म संयम से अनुशासित राज्य है। उसे राज्य में कर्तव्य और अधिकार का संतुलन होता है। रामराज्य वह है जिसमें सभी आनंद से रहें, संतुष्ट हो। हर एक व्यक्ति सदाचरण पर चलने वाला हो।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि वर्तमान दौर में नशे से नई पीढ़ी को पूरी तरह से मुक्त करने की जरूरत है। युवा पीढ़ी स्वतन्त्रता सेनानियों द्वारा निर्धारित मानदण्डों के आधार पर राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे। राष्ट्रीय एकता और परस्पर सहयोग से विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए आगे आएं। रामराज्य परस्पर प्रेम का राज्य है। यह एक ऐसा राज्य है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति की नागरिकता के नाते जो धर्म है, उसके पालन से उत्पन्न होता है।
कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि व्यापक अर्थों में आदर्श शासन के रूप में रामराज्य को महिमा मिली है। महात्मा गांधी का रामराज्य, स्वराज्य है। वह केवल राजनीतिक प्रादर्श नहीं है, वह सम्पूर्ण जीवनादर्श है। उसका महत्व सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और मूल्यपरक भी है। राष्ट्र ही नहीं, वैश्विक स्तर पर रामराज्य की स्थापना गांधीजी की का प्रादर्श है। उन्होंने भारत में अंग्रेजी शासन से मुक्ति के बाद ग्राम स्वराज के रूप में रामराज्य की संकल्पना की थी। उन्होंने रामराज्य के पूर्वागत मानदंडों को स्वाधीनता यज्ञ के साथ जोड़ा।
इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों द्वारा कुलपति प्रो सी जी विजयकुमार मेनन को शॉल, साहित्य एवं मौक्तिक माल अर्पित कर उनका सारस्वत सम्मान किया गया।
कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने उपस्थित जनों को नशा निषेध की शपथ दिलाई।
अतिथियों द्वारा गांधी जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। पुस्तकालय परिसर में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, मध्यप्रदेश शासन की डॉ रुचि मिश्रा के संयोजन एवं जाग्रति नशामुक्ति केंद्र के सहयोग से नशा निषेध पर केंद्रित प्रदर्शनी लगाई गई।
कला पथक दल द्वारा गांधी जी के प्रिय भजन एवं मद्य निषेध गीत की प्रस्तुति की गई। कला पथक दल के कलाकारों में मुख्य कलाकार नगाड़ा सम्राट नरेन्द्रसिंह कुशवाह, सुश्री अर्चना मिश्रा, सुरेश कुमार, राजेश जूनवाल, सुनील फरण, अनिल धवन, आनंद मिश्रा आदि सम्मिलित थे।
अतिथियों का स्वागत कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, विद्यार्थी कल्याण संकायाध्यक्ष प्रो सत्येंद्र किशोर मिश्रा, प्रो अनिल कुमार जैन, प्रो जगदीश चंद्र शर्मा, प्रो बी के आंजना, प्रो ज्योति उपाध्याय, प्रो धर्मेंद्र मेहता, डॉ राजेश्वर शास्त्री मुसलगांवकर, डॉ राज बोरिया, डॉ गणपत अहिरवार, डॉ रमण सोलंकी, श्री कमल जोशी, डॉ कौशिक बोस, श्री योगेश शर्मा, डॉ अजय शर्मा आदि ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में पुस्तकालय प्रांगण में सामूहिक मौन धारण कर स्वतन्त्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने आयोजन में अनेक सुधीजनों , प्रबुद्ध जनों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों ने सहभागिता की।
संचालन प्रो जगदीश चंद्र शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन प्रो अनिल कुमार जैन ने किया।
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