राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रेरणा से प्रमुख अनुयायी भूदान आंदोलन के प्रणेता आचार्य विनोबा भावे की सत्प्रेरणा से राष्ट्रभाषा हिन्दी और देवनागरी लिपि का चिंतन समूची भारतीय संस्कृति और भाषा व्यवस्था का सुन्दर दर्शन है। वे मानवीय मूल्यों, सभ्यता, भाषा, लिपि, साहित्य, दर्शन, समाज, शिक्षा, पत्रकारिता इन सभी आयामों में अग्रणी दिखाई देते है। राष्ट्रभाषा हिन्दी और देवनागरी लिपि के विचार राष्ट्र की भावात्मक एकता एवं अखण्डता और विकास का आधारयुगीन सार्थकता है।
उपर्युक्त विचार राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के महासचिव एवं नागरीलिपि परिषद प्रदेश संयोजक डॉ. प्रभु चौधरी ने नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली एवं राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की मध्यप्रदेश इकाई द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठीः विश्व में हिन्दी भाषा एवं नागरी लिपि का बढ़ता प्रभाव विषय पर विशिष्ट वक्ता के रूप में सरस्वती शिशु मंदिर सरदारपुर जिला धार म.प्र. में व्यक्त किये। संगोष्ठी की विशिष्ट अतिथि डॉ. मंजू पाटीदार(प्राचार्य शासकीय महाविद्यालय कानवन धार) ने सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्व की अनेक लिपियों में हमारी नागरी लिपि सर्वश्रेष्ठ है। भारत अनेक विविधताओं वाला देश है परन्तु हिन्दी भाषा सर्वमान्य है। हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा के रूप मे प्रतिष्ठित होकर विश्व के अनेक देशो में बोली जाती है तथा अनेक विश्वविद्यालयों में अध्यापन भी होता है।
समारोह के मुख्य अतिथि श्री जयंत जोशी पूर्व शिक्षाधिकारी धार ने सम्बोधन में कहा कि देवनागरी लिपि, हमारी स्वाभाविक समृद्ध एवं सशक्त लिपि है जैसा बोला जाता है वैसा ही लिखा जाता है। सिन्धुघाटी की लिपि से लेकर ब्राह्मी लिपि और देवनागरी लिपि विश्व सभ्यता को भारत की महत्वपूर्ण देन है।
समारोह का शुभारम्भ संगोष्ठी अध्यक्ष श्री जयशंकर भारद्वाज उपाध्याय एवं अतिथियों ने माँ शारदा एवं भारत माता के चित्रो पर माल्यार्पण दीप प्रज्जवलन से किया। अतिथि परिचय एवं अतिथियों का स्वागत आयोजक श्री ब्रजेन्द्रसिंह कुशवाह ने एवं स्वागत भाषण प्रदेश महासचिव डॉ. अरूणा सराफ ने दिया। संगोष्ठी की प्रस्तावना प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. कृष्णा जोशी ने प्रस्तुत की। संगोष्ठी में सर्वश्री अश्विनी दीक्षित, डॉ. राहुल व्यास, श्री धर्मेन्द्र श्रीवास्तव, श्री संजय कुमार दीक्षित ने भी अपने विचार व्यक्त किये। अध्यक्षीय भाषण में वरिष्ठ अभिभाषक श्री उपाध्याय ने भारत की हिन्दी भाषा और नागरी लिपि की सभ्यता और संस्कृति का भाव एवं भाषा शैली आनंद प्रदान करती है। महात्मा गांधी के राष्ट्रभाषा हिन्दी सहित भारतीय भाषाओं और देवनागरी लिपि संबंधित विचारो को नवयुग के अनुरूप व्यापक प्रचार प्रसार करने की आवश्यकता है तभी हम अपनी राष्ट्रीय सांस्कृतिक पहचान के साथ एक विश्व शक्ति के रूप मे भारत को महिमाशाली उपस्थिति प्रदान कर सकेंगे।
संगोष्ठी का संचालन सुश्री प्रतिमा सिंह प्रदेश सचिव ने एवं आभार प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. कृष्णा जोशी ने माना। संगोष्ठी में श्री यशवंत भण्डारी ‘यश‘, श्रीमती मानकुंवर राठौड़, श्रीमती हंसा मुनैर, श्रीमती ज्योति पंवार, श्री एम.एल. फुलपगारे, किरण मिनोरे, अमरसिंह मुनेर, बालाराम कुमावत, विनय कसेरा, जयेन्द्र बैरागी आदि उपस्थित रहे।
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