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विक्रम विश्वविद्यालय और कालिदास संस्कृत अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में हुई मंजूषा चित्रकला और टेराकोटा कला की कार्यशाला, कला रूपों की बारीकियों को सीखा विद्यार्थी कलाकारों ने

कार्यशाला के समापन समारोह में मंजूषा एवं टेराकोटा कला के प्रशिक्षक कलाकारों का किया गया सारस्वत सम्मान 

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन और कालिदास संस्कृत अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में ललित कला के विद्यार्थियों के लिए मंजूषा चित्रकला और टेराकोटा कला की कार्यशाला आयोजित की गई। एक सप्ताह तक हुई इस कार्यशाला में विद्यार्थियों ने बिहार की प्रसिद्ध मंजूषा चित्रकला और राजस्थान के मोलेला की टेराकोटा कला का विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त किया। उनके द्वारा इस दौरान अनेक कलाकृतियाँ बनाई गईं। 

समापन समारोह के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय, कालिदास संस्कृत अकादेमी के निदेशक डॉ गोविंद गंधे, कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने अपने विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर मंजूषा कला के प्रशिक्षकों श्री मनोज कुमार पंडित एवं तथा उनके सुपुत्र एवं शिष्य अमन सागर, भागलपुर एवं ललित कुम्हार, मोलेला, राजस्थान को अतिथियों द्वारा शॉल, श्रीफल एवं साहित्य भेंट कर उनका सारस्वत सम्मान किया गया।  

कार्यक्रम में ललित कला अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रो जगदीश चंद्र शर्मा, वरिष्ठ कलाकार श्री लक्ष्मीनारायण सिंहरोडिया, डॉ महिमा मरमट, डॉ सन्दीप नागर आदि उपस्थित थे। कार्यशाला में ललित कला अध्ययनशाला के विद्यार्थी कलाकार पंकज सेहरा, लक्ष्मी कुशवाह, नंदिनी प्रजापति, मुकुल सिंह, आदित्य चौहान, जगबंधु महतो, अक्षित शर्मा, प्रिंस परमार, चांदनी दिगर्से, अलका कुमारी, सलोनी परमार, नायसा खान आदि ने सहभागिता करते हुए दोनों कला रूपों में कलाकृतियाँ तैयार कीं। डॉ योगेश्वरी फिरोजिया के समन्वयन में हुई इस कार्यशाला के दौरान बनाई गईं कलाकृतियों का प्रदर्शन समापन अवसर पर किया गया, जिसे कला रसिकों ने बहुत सराहा।


कार्यक्रम का संचालन डॉ सन्दीप नागर ने किया। आभार ललित कला विभागाध्यक्ष प्रो जगदीश चंद्र शर्मा ने माना।


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