महाकाल सांस्कृतिक वन हमारी संस्कृति और सभ्यता को झलकाता है, यह उज्जयिनी की एक धरोहर के रूप में विश्वविद्यालय परिसर को सुशोभित करता है - कुलगुरु प्रो अखिलेश कुमार पाण्डेय
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के विद्यार्थियों ने कुलगुरु और वन विभाग के अधिकारियों के सान्निध्य में महाकाल सांस्कृतिक वन का भ्रमण कर उसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के विद्यार्थियों ने कुलगुरु और वन विभाग के अधिकारियों सान्निध्य में महाकाल सांस्कृतिक वन का भ्रमण कर उसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। दिनांक 26 अप्रैल 2024 को हुए इस भ्रमण में जैव प्रौद्योगिकी, फॉरेंसिक साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग के विद्यार्थी सम्मिलित थे।
विद्यार्थियों को भ्रमण करवाते हुए जिला वन मंडल अधिकारी डॉक्टर किरण बिसेन ने बताया कि महाकाल सांस्कृतिक वन मे अनेक आऔषधीय पौधे रोपित किए गए हैं जो गुणकारी होने के साथ-साथ वन की सुंदरता को भी सुशोभित करते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को वन में उपस्थित सभी पौधों की प्रजातियों से परिचित कराया। इस भ्रमण के दौरान विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय भी उपस्थित थे।
वन के बारे में बात करते हुए कुलगुरु जी ने कहा कि महाकाल सांस्कृतिक वन हमारी संस्कृति और सभ्यता को झलकाता है, यह उज्जयिनी की एक धरोहर के रूप में विश्वविद्यालय परिसर को सुशोभित करता है। इसका निर्माण विश्वविद्यालय परिसर में होना विश्वविद्यालय के लिए अत्यंत गौरव का विषय है। उन्होंने सभी विषय के विद्यार्थियो से वन को अपने विषय के दृष्टिकोण से देखने और उसका गंभीरता से आकलन करने की अपील की।
इस भ्रमण पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने इस अवसर पर विभागों से इस प्रकार के भ्रमण कराते रहने की अपील की, जिससे विद्यार्थी अधिक से अधिक लाभान्वित होते रहें। इस अवसर पर प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी और फॉरेंसिक साइंस अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉक्टर सलिल सिंह के अतिरिक्त प्राणिकी एवं जैवप्रोद्योगिकी अध्ययनशाला, इंजीनियरिंग अध्ययनशाला और फॉरेंसिक साइंस अध्ययनशाला के शिक्षक उपस्थित थे।
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