विक्रम विश्वविद्यालय के सेवानिवृत कर्मचारियों की पेंशन को लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला
प्रो एस एन गुप्ता, | सेवानिवृत्त आचार्य,विक्रम विश्वविद्यालय |
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के शिक्षकों और कर्मचारियों को मध्यप्रदेश शासन के कर्मचारियों के समान पेंशन देना मध्यप्रदेश शासन की संवैधानिक बाध्यता ही नहीं, उत्तरदायित्व भी
विक्रम विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने किया सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों की पेंशन को लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। इसके अनुसार विक्रम विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को मध्य प्रदेश शासन के कर्मचारियों के समान पेंशन देना मध्य प्रदेश सरकार की संवैधानिक बाध्यता ही नहीं, उत्तरदायित्व भी है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यप्रदेश सरकार की एसएलपी को खारिज कर माननीय उच्च न्यायालय, मध्यप्रदेश में डॉ. सुरेंद्र नारायण गुप्ता, सेवानिवृत्त आचार्य, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की याचिका क्रमांक 5314 / 20 में दिए गए उक्त निर्णय का अनुमोदन कर दिया है। मध्य प्रदेश शासन, उच्च शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की हठधर्मिता से अनेक रिप्रेजेंटेशन और माननीय उच्च न्यायालय के पूर्व निर्णयों के बावजूद 1 जनवरी 2016 अर्थात पिछले 8 वर्षों से अधिक समय से विक्रम विश्वविद्यालय के पेंशनरों को सातवें वेतन आयोग की पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है। इससे परेशान होकर विक्रम विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त आचार्य डॉ एस एन गुप्ता ने माननीय उच्च न्यायालय मध्य प्रदेश इंदौर में याचिका क्रमांक 5134 / 20 लगाई थी, जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने मान्य कर उक्त निर्णय दिया तथा मध्य प्रदेश सरकार को निर्देशित किया कि विश्वविद्यालय के पेंशनरों को मध्य प्रदेश सरकार के कर्मचारियों के समान सातवें वेतन आयोग का लाभ मय पेंशन एरियर के साथ दिया जाए। माननीय उच्च न्यायालय के उक्त निर्णय के विरुद्ध मध्य प्रदेश सरकार ने खंडपीठ (डीबी) में याचिका क्रमांक 365 / 223 दायर की थी, उसे भी न्यायालय ने अमान्य कर डिसमिस कर दिया। मध्य प्रदेश सरकार ने माननीय उच्च न्यायालय की खंडपीठ के उपरोक्त निर्णय के विरुद्ध एसएलपी 9363 / 23 दायर की, जिसे भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया।
यह जानकारी देते हुए विक्रम विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ कानिया मेड़ा ने बताया कि विक्रम विश्वविद्यालय एवं अन्य सरकारी विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों को पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ विश्वविद्यालय परिनियम से 37 के प्रावधानों के अनुसार मिलते हैं। इसमें यह प्रावधान है कि विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को मध्यप्रदेश सरकार के कर्मचारियों के समान और मध्य प्रदेश सिविल सर्विसेज पेंशन रूल 1976 के अनुसार पेंशन देने का प्रावधान है। पेंशन देने के लिए एक फंड बनाया गया है, जिसका प्रबंधन, संचालक और वित्तीय पोषण केंद्रीय रूप से मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग करता है तथा निर्देशित बैंक द्वारा सरकार विश्वविद्यालय कर्मचारियों को प्रतिमाह पेंशन देती है। वित्तीय पोषण में अगर कोई कमी आती है तो सरकार उसकी पूर्ति ग्रांट इन एड से करती है। विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को पेंशन पेमेंट में कोई रोक नहीं है। उसका उत्तरदायित्व संबंधित कर्मचारियों के भविष्य निधि (सीपीएफ) हिस्से को फंड में देने तक ही सीमित है। पेंशन देने का पूर्ण उत्तरदायित्व मध्य प्रदेश सरकार, उच्च शिक्षा विभाग का है। इस निर्णय से मध्यप्रदेश के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत विक्रम विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ कानिया मेड़ा, समस्त पदाधिकारी और शिक्षकों और कर्मचारियों ने करते हुए हर्ष व्यक्त किया है। उन्होंने इस फैसले के लिए विक्रम विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त आचार्य डॉक्टर सुरेंद्र नारायण गुप्ता को बधाई दी।
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