Skip to main content

भेराजी सम्मान सही अर्थों में लोक संस्कृति का नोबल पुरस्कार है – शैलेन्द्र शर्मा

उज्जैन । भेराजी सम्मान मालवी संस्कृति , बोली और भाषा का प्रतिष्ठित सम्मान है। लोक एवं जनजातीय संस्कृति भारत की संस्कृति के मूल आधार में है। सदियों से लोक संस्कृति लोकतांत्रिक मूल्यों का संवहन करती आ रही है। लोक संवेदना का इतिहास लोक संस्कृति और साहित्य में सतत प्रवहमान है। भेराजी सम्मान सही अर्थों में लोक संस्कृति का नोबल पुरस्कार है।

ये विचार मालवा लोक कला एवं संस्कृति संस्थान द्वारा कालिदास अकादमी में आयोजित 37 वें भेराजी सम्मान समारोह में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक प्रो.शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने व्यक्त किये। भेराजी सम्मान समारोह का आयोजन कालिदास संस्कृत अकादमी में दिनांक 18 अप्रैल 2024   की संध्या पर किया गया। आयोजन के सारस्वत अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित ने कहा कि पिछले सैंतीस वर्षों की परंपरा में निमाड़ी और मालवी के गुणी साहित्यकारों को भेराजी सम्मान से सम्मानित किया जाना मालवी का सम्मान बन गया है। मुख्य अतिथि प्रसिद्द मालवी साहित्यकार श्रीमती माया बदेका ने मालवी भाषा में संबोधित करते हुए कहा कि भेराजी सम्मान , मालवी और निमाड़ी का महत्वपूर्ण प्रतिष्ठा प्रसंग है। 

सम्मान प्रसंग के अंतर्गत ख्यात लोकविद रंगधर्मी श्री सतीश दवे एवं लोकप्रिय लोक गायक श्री कालूराम बामनिया को भेराजी सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मान पत्र का वाचन शशांक दुबे और डा गरिमा दवे ने किया। अतिथियों ने शाल ,श्रीफल ,सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर श्री दवे और बामनिया जी को सम्मानित किया। स्वागत भाषण संस्था के संरक्षक श्रीराम दवे ने दिया। 

सम्मान समारोह की रेकॉर्डिंग आकाशवाणी इंदौर द्वारा की गई जिसका प्रसारण आकाशवाणी से किया जाएगा।

आयोजन में मालवी हास्य नाटक ‘ चलिया हेड साहब हीरो बनने ‘ की प्रस्तुति रंगरेज कला संस्कार समिति द्वारा जगरूप सिंह के निर्देशन में की गई । नाटक का मालवी रूपांतरण शिरीष राजपुरोहित ने किया । संगीत राजेश जूनवाल , संयोजन अमित शर्मा ने किया । नाटकों के पात्र के रूप में नितिन सेठिया [ महाराजा ] , सुदर्शन अयाचित [ मित्ठो ] , कैलाश चौहान [ कोतवाल ] , अमित शर्मा [ सिपाही ] , शिरीष राजपुरोहित [ हवलदार ] , निकिता पोरवाल [ छ्ल्लोरानी ] , तुषार प्रजापत [ प्रधान ] , तुलसी भिलाला , करीना सोनगरा , लक्की बोरासी , तुषार , निषिद शुक्ला ,अंशुल भटनागर , अजय गांगोलिया , अंजलि , रविन्द्र शुक्ला आदि ने लगभग अस्सी मिनट के इस नाटक में खूब हंसाया।

प्रारम्भ में अतिथियों ने भेराजी , समारोह के संस्थापक श्री कैलाश वर्मा एवं श्रीमती सुमन वर्मा के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित की। अतिथियों का स्वागत संरक्षक श्रीराम दवे, अध्यक्ष डॉ हरीशकुमार सिंह, सचिव श्री जयेश भेराजी, कमलेश वर्मा, देवेन्द्र वर्मा , श्रीमती रानी जयेश भेरा जी , तृप्ती दवे,  अजय नागर ,सतीश मूसले , रमेश नायक , प्रशांत द्रोणावत आदि  ने किया। समारोह में संतोष सुपेकर , प्रो. प्रमोद त्रिवेदी ,डा. अरुण वर्मा , अशोक भाटी , चंदर सोनाने , सोनू गहलोत  , योगेश यादव , स्वामी मुस्कुराके ,सुरेन्द्र सर्किट , विनोद चौरसिया , सुन्दरलाल मालवीय, आदि उपस्थित थे। 

संचालन डॉ हरीशकुमार सिंह ने किया। आभार प्रदर्शन जयेश कैलाश भेराजी ने किया।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar