पौधों की बीमारियों सही दृष्टि से पहचानने का तरीका सीखना पादप रोग विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए अत्यंत आवश्यक - कुलगुरु प्रो अखिलेश कुमार पाण्डेय
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने एम एससी पादक रोग विज्ञान की कक्षा में पहुंच कर विद्यार्थियों को पौधों में कवक से होने वाली बीमारियों पर जानकारी दी। दिनांक 25 अप्रैल 2024 को विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने एम एससी पादप रोग विज्ञान की कक्षा में पहुंच विद्यार्थियों को कवक से होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी दी।
कक्षा को संबोधित करते हुए माननीय कुलगुरु जी ने बताया कि अधिकांश पौधों की बीमारियाँ कवक या फफूंद जैसे जीवों के कारण होती हैं। विद्यार्थियों को समझते हुए उन्होंने बताया कि पौधों की बीमारी का एक संकेत रोगजनक का भौतिक प्रमाण है जैसे, बकाइन के पत्ते पर ख़स्ता फफूंदी को देखी जा सकती है, जो वास्तव में परजीवी कवक रोग जीव माइक्रोस्फ़ेरा अलनी हैं। उसी प्रकार गुठलीदार फलों का जीवाणु नासूर गमोसिस का कारण बनता है, जो नासूरों से निकलने वाला एक जीवाणु स्राव है। पौधों के रोगों पर प्रकाश डालते हुए पौधे की बीमारी का एक लक्षण पौधे पर बीमारी का दिखाई देने वाला प्रभाव है। लक्षणों में रोगजनक के प्रति प्रतिक्रिया करते समय पौधे के रंग, आकार या कार्य में पता लगाने योग्य परिवर्तन शामिल हो सकते हैं। पत्ती का मुरझाना वर्टिसिलियम विल्ट का एक विशिष्ट लक्षण है, जो कवक पादप रोगजनकों वर्टिसिलियम एल्बो-एट्रम और वी. डाहलिया के कारण होता है। माननीय कुलगुरु जी ने बताया कि फंगल रोग के लक्षण में पत्ती में जंग लगना, तने का रतुआ, स्क्लेरोटिनिया, पाउडर रूपी फफूंद, अंकुरों का भीगना, पत्ती धब्बा, क्लोरोसिस या पत्तियों का पीला पड़ना आदि है। उन्होंने विद्यार्थियों से विषय की बारीकियों को समझ कर विषय के बारे में पढ़ने को कहा एवं उन्हें आश्वस्त किया कि वे निरंतर उनकी इस विषय की कक्षाएं ले उनकी शंकाओं का समाधान करते रहेंगे।
इस अवसर पर कृषि विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राजेश टेलर और वनापितिकी एवं पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. डी एम कुमावत ने माननीय कुलगुरु जी का विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करने के लिए उनको धन्यवाद दिया।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर अनिल शर्मा और कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि माननीय कुलगुरु जी जाने-माने कवक वैज्ञानिक हैं और उनके कई शोध पत्र भी प्रकाशित हैं और कुलगुरु जी के ज्ञान से विद्यार्थी निश्चित तौर पर लाभान्वित होंगे। इस अवसर पर विभाग के शिक्षक एवं कर्मचारी गण उपस्थित थे।
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