संस्कृत की सारस्वत परम्परा के प्रतिनिधि थे पद्मश्री प्रो वेंकटाचलम, उनकी स्मृति में प्रकृति और संस्कृति के संरक्षण दिशा में तत्पर हों – प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा
पद्मश्री स्व प्रो वी. वेंकटाचलम की पुण्यतिथि पर उनके सारस्वत अवदान पर विचार संगोष्ठी एवं पौधरोपण सम्पन्न
उज्जैन। वृक्षमित्र सेवा समिति, उज्जैन एवं विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा प्रख्यात साहित्य मनीषी पद्मश्री स्व प्रो वी. वेंकटाचलम की पुण्यतिथि पर उनके सारस्वत अवदान पर विचार संगोष्ठी एवं पौधरोपण किया गया। वृक्षमित्र सेवा समिति द्वारा चलाए जा रहे सतत प्राणवायु अभियान के अंतर्गत आज विक्रम विश्वविद्यालय के सुमन मानविकी भवन परिसर में मूर्धन्य विद्वान् एवं संस्थापक अध्यक्ष संस्कृत विभाग पद्मश्री स्व. श्री वी. वेंकटाचलम की पुण्यतिथि के अवसर पर उनके अवदान पर केंद्रित विचार संगोष्ठी के साथ पौधरोपण किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा और विशिष्ट अतिथि श्रीमती शुभा मुंगी थीं।
स्व. श्री वेंकटाचलम एवं स्व. श्रीमती वी. गोमती के स्मारणार्थ परिवार के सौजन्य से सुमन मानविकी भवन के पास नंदनम् वाटिका निर्मित की है, जहाँ पौधरोपण किया गया। यह जानकारी देते हुए संस्था अध्यक्ष श्री अजय भातखंडे ने बताया कि इस वर्ष समिति द्वारा 5000 पौधे लगाने का संकल्प लिया गया है।
संगोष्ठी एवं पौधरोपण उत्सव में मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय, श्री बी के आंजना विभागध्यक्ष संस्कृत अध्ययनशाला, डॉ. राजेश पंड्या संस्थापक फ्यूचर विज़न कॉलेज, श्रीमती शोभा जोशी ने एवं श्री अजय भातखंडे ने विचार व्यक्त किए।
संगोष्ठी में विचार व्यक्त करते हुए वृक्षमित्र अतिथि प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने सम्बोधित करते हुए कहा की पद्मश्री प्रो वेंकटाचलम संस्कृत की सारस्वत परम्परा के प्रतिनिधि थे। उनके कृतित्व में साहित्य, दर्शन और शिक्षा का संगम दिखाई देता था। उनकी स्मृति में प्रकृति और संस्कृति के संरक्षण दिशा में सुधीजन तत्पर हों। उनके परिवार से जुड़े डॉ व्ही डी मुंगी ने चिकित्सक के रूप में अविस्मरणीय योगदान दिया। इस तरह के पुण्यात्माओं के स्मरण में पौध रोपण कर करना अत्यंत प्रासंगिक है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. शुभा मुंगी ने अपने पिता पद्मश्री वी. वेंकटाचलम जी का परिचय देते हुए बताया कि वे विक्रम विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के संस्थापक अध्यक्ष थे. आपकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। उनके नेतृत्व और मागदर्शन मे अनेक वर्ष कालिदास समारोह सम्पन्न हुआ।
अतिथियों के साथ बड़ी संख्या में वृक्षमित्र उपस्थित थे, जिन्होंने बड़े उत्साह से पौधरोपण किया एवं पौधों को पानी दिया। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के प्रो डी डी बेदिया, श्रीमती नंदिता मुंगी, श्रीमती अस्मिता भातखंडे, श्रीमती लीना चन्दन, श्री गोपाल महाकाल, दुर्गेश जोशी, अजय तत्वाड़े, लोकेन्द्र शास्त्री, हेमंत जोशी, श्रीकांत जोशी, मिलिंद लेले एवं बड़ी संख्या मे वृक्षमित्र उपस्थित थे। आभार प्रदर्शन संस्था सचिव श्री प्रवीण साठे ने किया।
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