Skip to main content

राष्ट्रीय आयुष मिशन जन स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत शासकीय माध्यमिक विद्यालय ग्राम सोड़ंग योग, वृक्षारोपण एवं छात्र-छात्राओं को स्वस्थ रहने के उपाये बताये

उज्जैन। शासकीय धन्वन्तरि आयुर्वेद चिकित्सालयीन महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. जे.पी. चौरसिया ने बताया कि भारत सरकार आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय आयुष मिशन जन स्वास्थ्य कार्यक्रम का शासकीय धन्वन्तरि आयुर्वेद महाविद्यालय उज्जैन को नोडल केन्द्र बनाया गया है। 

जिसमें राष्ट्रीय आयुष मिशन जन स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत उज्जैन ब्लॉक के ग्रामीण क्षेत्र एवं उज्जैन के अधीनस्थ क्षेत्रों में विगत 4 माह से महाविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय आयुष मिशन जन स्वास्थ्य कार्यक्रम का निरंतर संचालन किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत आज दिनांक 25.07.2024 को आयुर्विद्या (प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को स्वास्थ्य की दृष्टि से दिनचर्या की गतिविधियों से अवगत कराते हुये उनको योगाभ्यास सिखाया गया। साथ ही घरेलू आयुर्वेदिक औषधियों के पौधों का वृक्षारोपण कराया गया तथा औषधीय पौधों के उपयोग के बारे में शिक्षकों को ट्रेनिंग दी गई और वहा के छात्र-छात्राओं को त्राओं को औषधीय पौधों के उपयोग के बारे में बताया गया। 

उक्त कार्यक्रम में शासकीय माध्यमिक विद्यालय सोडंग के प्राचार्य श्री प्रेमनारायण परमार ने राष्ट्रीय आयुष मिशन कार्यक्रम की सराहना की है। 

उक्त कार्यकम के नोडल अधिकारी डॉ. राकेश कुमार निमजे, रीडर एवं विभागाध्यक्ष स्वस्थवृत्त विभाग ने बताया कि राष्ट्रीय आयुष मिशन स्वास्थ्य कार्यक्रम में विद्यालयों के छात्र-छात्राओ को इसलिए शामिल किया गया कि योग के माध्यम से छात्र-छात्राएं स्वस्थ रहें और दिनभर की दिनचर्या व्यवस्थिता रूप से बनी रहे साथ ही लुप्त हो रही औषधीय प्रजाति के पौधों को बचाया जा सके जिससे जनमानस में इसस कार्य के प्रति उत्साह बना रहे। 

उक्त कार्यकम डॉ. विजय राठौर, स्वास्थ्य कार्यकर्ता निमित तिवारी का योगदाना महत्वपूर्ण रहा है। उक्त जानकारी मीडिया प्रभारी डॉ. प्रकाश जोशी ने दी।





Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...