संस्कृति संरक्षण हेतु संस्कृत नीतिशास्त्रों को पाठ्यक्रम में समाहित कर पढ़ाने की आवश्यकता - प्रो. बालकृष्ण शर्मा
संस्कृति संरक्षण हेतु संस्कृत नीतिशास्त्रों को पाठ्यक्रम में समाहित कर पढ़ाने की आवश्यकता - प्रो. बालकृष्ण शर्मा
भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य पर केंद्रित दो दिनी राष्ट्रीय कार्यशाला का हुआ समापन
उज्जैन। मध्यप्रदेश शासन, उच्च शिक्षा विभाग के सहयोग से महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय ,उज्जैन में आयोजित कार्यशाला में देश के अनेक राज्यों से पधारे विषय विशेषज्ञ विद्वानो ने पाठ्यक्रम को अद्यतन करने हेतु किया विचार मंथन।
समापन समारोह के मुख्यातिथि प्रो.बालकृष्ण शर्मा ,पूर्व कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय , उज्जैन ने कहा कि आज संस्कृत के ज्ञान की न्यूनता के कारण बौद्धिक क्षति हुई है। संस्कृत परम वैज्ञानिक भाषा है संस्कृत नीतिशास्त्रों को पाठ्यक्रम में समाहित कर पढ़ाने की आवश्यकता है तभी संस्कृति और संस्कारों को संरक्षित किया जा सकता है।
सारस्वतातिथि प्रो. रमाकांत पांडेय, निदेशक, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ,भोपाल परिसर ने अपने वक्तव्य में कहा कि नवीन शिक्षानीति पूर्ण रूप से भारतीयता को आगे बढ़ाने वाली है जिसमें संस्कृत को महत्व दिया गया है। भारतीय ज्ञान परंपरा संस्कृत से ही अनुप्राणित है। संस्कृत ग्रंथों में सम्पूर्ण वनस्पति विज्ञान, युद्धकला, राजनीति एवं प्रौद्योगिकी समाहित है। आज संस्कृत को उपकरणों एवं तकनीकी के माध्यम से पढ़ाने हेतु हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
विशिष्टातिथि प्रो.शैलेंद्रकुमार शर्मा , कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय ,उज्जैन ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा के समक्ष सम्पूर्ण विश्व नतमस्तक है। विज्ञान और विभिन्न प्रकार का सूक्ष्म ज्ञान संस्कृत में है। जिन पर भारतीय और विदेशी विद्वान निरंतर कार्य कर रहे है। हमारी युवा पीढ़ी को संस्कारवान एवं प्रज्ञा संपन्न बनाने हेतु संस्कृत भाषा का अध्ययन अनिवार्य रूप से करना होगा तभी भारतीय ज्ञान परंपरा को विश्व में प्रचारित किया जा सकेगा। संस्कृत विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
सभाध्यक्ष कुलगुरु प्रो. विजय कुमार सीजी ने कहा कि संस्कृत भाषा में ज्ञान के सभी पक्षों का समावेश है। भारतीय दर्शन में सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास प्रमुख हैं । पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत का देश में प्रथम विवि है जिसमें राष्ट्रीय शिक्षानीति लागू की गई।
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